फकीर जुन्नेद आँखों में आँसू भरकर परमात्मा से प्रार्थना कर रहे थे- “मैंने सब कुछ छोड़ दिया अब तक तेरे ऊपर नजर टिकी है। पर प्यारे यह तो बता कि तेरी नजर भी मेरी तरफ है या नहीं?”
भीतर का परमात्मा बोला- “जब तक दूसरे की नजर अपनी ओर होने में संदेह है तब तक दूरी बनी ही रहती है। अपनी नजर जमाये रहने में ही संतोष कर। फिर देख!”