बचपन में राजा राम मोहन राय की भावज को परिवार वालों द्वारा उकसाकर जबरदस्ती सती कराया गया था। उस घटना को वे जीवन भर न भूले और सती प्रथा का अन्त कराने के लिए कानूनी तथा सामाजिक वातावरण, बनाने के लिए आजीवन प्रयत्न करते रहे।
ठीक ऐसी ही घटना ईश्वरचन्द्रिसागर के जीवन में घटित हुई। उनके एक सम्बन्धी ने वृद्धावस्था में कम आयु की लड़की से वाह कर लिया। कुछ ही दिन में उसे विधवा बनाकर मर गये।
उन सम्बन्धी से उनने विवाह के बाद ही रिश्ता तोड़ लिया था पर बाद में वे विधवा की दुर्दशा देखकर अत्यन्त दुःखी रहने लगे। ऐसी ही अनेकों दुर्दशाग्रस्त विधवाएँ उनके सामने आती रहीं।
वे चुप न बैठे। विधवा विवाह का कानून बनवाने और उस पर लगे सामाजिक प्रतिबंध को दूर कराने में उनने जीवन भर प्रचण्ड एवं सफल आन्दोलन चलाया।