हारने से पहले पुनर्विचार करो (Kahani)

September 1987

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पर्वतारोहियों के दल का एक सदस्य लड़खड़ाया उसने सामने वाली ऊँची चोटियों को देखकर कहा, इतनी ऊँचाई तक चढ़ सकना मेरे लिए सम्भव नहीं।

साथियों ने उसे नीचे देखने को कहा। जमीन बहुत गहराई में थी। पुनर्विचार करने को जब वह तैयार हुआ तो सूझा कि, जब इतना चढ़ लिया गया तो आगे भी चढ़ते रहना क्यों कठिन होना चाहिए?


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