एक उदेश्य निश्चित करो(Kahani)

September 1987

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एक लड़के ने एक बहुत धनी आदमी को देखकर धनवान बनने का निश्चय किया कई दिन वह कमाई में लगा रहा और कुछ पैसे भी कमा लिये इसी बीच उसकी भेंट एक विद्वान से हुई अब उसने विद्वान बनने का निश्चय किया और दूसरे दिन से कमाई धमाई छोड़कर पढ़ने में लग गया।

अभी अक्षर अभ्यास ही सीख पाया था कि उसकी भेंट एक संगीतज्ञ से हुई। उसे संगीत में अधिक आकर्षण दिखाई दिया, अतः उस दिन से पढ़ाई बंद कर दी और संगीत सीखने लगा।

काफी उम्र बीत गई, न वह धनी हो सका न विद्वान और न संगीत सीख पाया तब उसे बड़ा दुःख हुआ एक दिन उसकी एक महात्माजी से भेंट हुई उसने अपने दुःख का कारण बताया।

महात्मा जी मुस्कुरा कर बोले बेटा दुनिया बड़ी चिकनी है जहाँ जाओगे कोई न कोई आकर्षण दिखाई देगा। एक निश्चय कर लो और फिर जीत जी उस पर अमल करते रहो तो तुम्हारी उन्नति अवश्य हो जायेगी और युवक एक उद्देश्य निश्चित कर उसी का अभ्यास करने लगा।


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