श्री रफी अहमद किदवई

October 1970

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स्व. श्री रफी अहमद किदवई की एक मित्र की पुत्री का विवाह था। उनसे श्री किदवई साहब का राजनैतिक विरोध था। बोल-चाल तक न थी। यहाँ तक कि उन्होंने किदवई साहब को विवाह में आमंत्रित तक न किया। किन्तु वे स्वयं ही वहाँ पहुँचे और कन्या को आशीर्वाद दे दिया।

उन सज्जन ने जब रफी साहब को वहाँ देखा, तो पश्चाताप आत्म-ग्लानि तथा स्नेह का ऐसा स्रोत उमड़ा, कि वे रफी साहब के गले से लिपट गये और क्षमा-याचना की। रफी साहब विनम्र स्वर में इतना ही बोले ‘हमारा आपका राजनैतिक मतभेद हो सकता है। किन्तु यह तो घर का मामला है। आपकी बेटी मेरी बेटी है।’ इस घटना से आपस का वह मनमुटाव भी समाप्त हो गया।


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