श्री हरिनारायण आप्टे

October 1970

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मराठी साहित्य के प्रसिद्ध उपन्यासकार श्री हरिनारायण आप्टे अपनी मिश्रायन (रोटी बनाने वाली) की छह वर्षीय कन्या के साथ ही नित्य भोजन करते थे। एक दिन भोजन करते समय ही उनके एक मित्र आये। बच्ची को देखकर बोले ‘शायद यह अपनी प्रथम पत्नी की कन्या है?’ श्री आप्टे मन्द मुस्कुराए और धीरता के साथ बोले ‘नहीं भाई, यह तो मेरी भानजी (बहन की कन्या) है।’


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