साधक के लिए सबसे बड़ा प्रतिबंध कीर्ति है-
-अज्ञात
मनुष्य अपना शिल्पी आप है। वह स्वयं ही अपना निर्माण करता है। उत्कृष्ट निर्माण ही निर्माण है। आत्मत्व की रक्षा ही सर्वोत्कृष्ट निर्माण माना गया है। इस निर्माण के लिये मनुष्य को सत्य तथा वास्तविक नीति का अवलम्बन करना चाहिए। सत्य मानव-जीवन की सफलता के लिये सर्वोत्तम नीति है। इसको अपना कर चलने वाले किसी भी दिशा और किसी भी क्षेत्र में अपना स्थान बनाकर अन्त में परम पद के अधिकारी बनते हैं।