अंडा खाइये और लकवा बुलाइये

October 1970

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इधर मूर्ख नेताओं वाले देश भारतवर्ष में तृतीय पंचवर्षीय योजना देश भर में मुर्गी पालन और अण्डा उत्पादन का अभियान चला रही थी उधर फ्लोरिडा अमेरिका का कृषि विभाग ‘अण्डों का स्वास्थ्य पर क्या प्रभाव पड़ता है’ उसकी शोध और परीक्षण कर रहा है। अट्ठारह महीनों के परीक्षण के बाद 1967 की हेल्थ बुलेटिन ने बताया- अण्डों में डी.डी.टी. विष पाया जाता है जो स्वास्थ्य के लिये अत्यधिक हानिकारक है।

कैलीफोर्निया के विश्व विख्यात डॉ. कैथेराइन निम्मो डी.सी.आर.एन. तथा डॉ. जे. एमन विल्किन्ज ने एक सम्मिलित रिपोर्ट में बताया-एक अण्डे में लगभग 4 ग्रेन ‘केले स्टरोल’ नामक अत्यन्त विषैला तत्व पाया जाता है। यह विष हृदय रोगों का मुख्य कारण है। इतनी सी मात्रा से ही हाई ब्लडप्रेशर, पित्ताशय में पथरी, गुर्दों की बीमारी तथा रक्त में जाने वाली धमनियों में घाव हो जाते हैं ‘इस स्थिति में अण्डों से स्वास्थ्य की बात सोचना मूर्खता ही है।’

इन डाक्टरों की यह रिपोर्ट पढ़कर विश्वभर के डॉक्टर चौंके और तब सारे संसार की प्रयोगशालाओं में परीक्षण होने लगे। उन परीक्षणों में न केवल उपरोक्त तथ्य पुष्ट हुये वरन् कुछ नई जानकारियाँ मिलीं जो इनसे भी भयंकर थीं।

उदाहरण के लिये इंग्लैंड के डॉ. राबर्ट ग्रास, इविंग डैविडसन तथा प्रोफेसर ओकड़ा ने कुछ पेट के बीमारों का- अण्डे खाने और अण्डे खाना छोड़ देने इन, दोनों परिस्थितियों में परीक्षण किया और पाया कि जब तक वे मरीज अण्डे खाते रहे तब तक उनका पाचन बिगड़ा रहा, पेचिश हुआ और ट्यूबर कुलैसिस बैक्टीरिया (टी.बी.) जन्म लेता दिखाई दिया।’

अमेरिका के डॉ. ई.वी.एम.सी. कालम ने तो इन तथ्यों का विधिवत प्रचार किया उन्होंने अपनी पुस्तक ‘न्यूअर नॉलेज आफ न्यूट्रिन पेज 171 में लिखा है’ अण्डों में कार्बोहाइड्रेट्स तथा कैल्शियम की कमी होती है। अतः यह पेट में सड़ाँद उत्पन्न करते हैं, यह सड़न ही अपच, मन्दाग्नि और अनेक रोगों के रूप में फूटती है साथ ही स्वभाव में चिड़चिड़ापन- थोड़े में क्रुद्ध हो जाना जैसी बुराइयाँ उत्पन्न करता है।

‘दि नेचर ऑफ डिसीज’ पत्रिका के द्वितीय वाल्यूम पेज 194 में चेतावनी देते हुए डॉ. जे.ई.आर.एम.सी. डोनाह एफ.आर.सी.पी. (इंग्लैंड) लिखते हैं- ‘कैसा पागलपन है कि जो अंडा आँतों में विष और घाव उत्पन्न करता है आज उन्हीं अण्डों की उपज में वृद्धि करने की व्यावसायिक योजनाएं तैयार की जा रही हैं।’

धार्मिक आध्यात्मिक और जीव दया जैसी अत्यधिक आवश्यक बातें उपेक्षित भी की जा सकती हैं पर क्या इन डाक्टरी निष्कर्षों को भी ठुकराया जा सकता है। अण्डा किसी भी अर्थ में स्वास्थ्य वर्धक नहीं। इंग्लैण्ड के डॉ. आर. जे. विलियम्स का कथन है आज जो लोग अण्डे खाकर स्वस्थ होने की कल्पना करते हैं वहीं कल जब एक्जिमा और लकवे जैसे भयंकर रोग से शिकार होंगे- तब पश्चाताप करेंगे कि घास की रोटी खा लेती तो अच्छा था अण्डा खाकर आत्मघात जैसा दुर्भाग्य तो सिर पर न पड़ता।


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