न्यू हैम्पशायर का इक्सेटर पुलिस स्टेशन-बात 3 सितम्बर, सन 1965 की है, में नारमैन मसकेरीलो नामक व्यक्ति ने प्रवेश किया। पुलिस स्टेशनों में यो घबराहट से भरे अनेक व्यक्ति पहुँचते और रिपोर्ट दर्ज कराते हैं, पर मसकेरीलो की मुखमुद्रा में व्याप्त भय बहुत गहरा था। आप बीती सुनाते समय उसका मुँह पूरी तरह सूख रहा था। कई बार तो घबराहट के मारे आवाज भी रुंध जाती।
काँपते स्वर में उसने बताया-वह वस्तु गोल थाली की तरह चमकती हुई थी। उसका रंग सफेद था, पर किरणें सी फूट रही थीं, वह लाल या नारंगी थी। प्रकाश का वह गोला काँप रहा था। उससे मक्खी के भिनभिनाने की सी आवाज थी---।
पर वह कौन था? पुलिस इन्सपेक्टर ने प्रश्न किया और साथ-ही साथ सान्त्वना भी दिलाई, तब मसकैरीलो ने आगे बताना शुरू किया-मैं अपने घर जा रहा था, समय पता न चलने के कारण जल्दी ही चल पड़ा था। कोई सवारी नहीं मिली सो पैदल ही आ रहा था। जब मैं केसिंग्टन के एक-खुले स्थान से गुजर रहा था तभी आकाश में वह गोल-सी वस्तु जिसका व्यास 80 से 90 फीट तक रहा होगा, काँपती हुई मेरी ओर झपटी। सड़क छोड़कर मैं नीचे की ओर भागा तब वह पीछे लौट गई और हवा में उड़ती हुई मकानों की छतों पर घूमी। इसके आगे मुझे पता नहीं। मैं सीधा पुलिस स्टेशन भागकर आया हूँ। मुझे डर लग रहा है, घर तक पहुँचने का प्रबंध कर दें।
इन्सपेक्टर के लिये यह सर्वथा अनहोनी घटना थी। कहते हैं साइबेरिया में कोई एक व्यक्ति ऐसा है जो शुक्र ग्रह से उतरा है। कहते हैं बेल्जियम में कोई एक ऐसा स्थान है जहाँ आकाश से प्रायः उड़न तश्तरियाँ आती रहती हैं। भूत-प्रेतों की कहानी-अनकहानी तो घर-घर सुनी जा सकती है पर जो कुछ मसकेरीलो बता रहा था, वह सत्य तो वैज्ञानिक कहानियों से भी आश्चर्यजनक था। उस पर सहसा विश्वास करना कठिन था। इन्सपेक्टर ने हंसकर कहा भी-महोदय! आपको, लगता है, धोखा हो गया।
किन्तु अभी वह कुछ व्यवस्था करे, इससे पूर्व ही रात्रि में गश्त (पेट्रोल) के लिये गई पुलिस की गाड़ी वापिस लौटी। उसके इंचार्ज वेरट्रेन्ड ने भी बताया कि थाने से 2 मील दूर कार में आ रहे एक दम्पत्ति ने भी ठीक ऐसी ही घटना सुनाई जैसी मसकेरीलो ने। उन्हें तो उस वस्तु ने 9 मील तक- ईपिंग से न्यूहेम्पशायर के उस स्थान तक पीछा किया जहाँ वह वस्तु मसकेरीलो को मिली थी।
आखिर सत्यता की जाँच के लिए वरट्रेन्ड तैयार हो गया। उसने मसकेरीलो को भी साथ लिया और उसी स्थान पर जा पहुँचा। टार्च से बड़ी देर तक इधर-उधर देखते रहे पर वहाँ कुछ दिखाई न दिया। वरट्रेन्ड ने व्यंग्य से कहा-आपने कोई पास से गुजरता हैलिकॉप्टर देखा होगा। ‘पर मुझे हवाई जहाजों की पूर्ण पहचान है’- मसकेरीलो ने उत्तर दिया। और तभी वह घटना फिर घटी। वहाँ से कुल 100 गज की दूरी पर ही एक ‘कृषिभवन’ था। उसके ऊपर वह प्रकाश-पुँज फिर प्रकट हुआ। वहाँ की प्रत्येक वस्तु, पेड़-पौधे और जमीन तक उसी रंग से नहा गये। कृषिभवन तो रक्त के रंग में रंगा लगने लगा। वरट्रेण्ड सहित सभी पेट्रोल-कार की ओर भागे।
उस प्रकाश पुँज की कहानी यहीं से समाप्त हो गई। दूसरे दिन वह घटना अखबारों में छपी। तब जान फुलर नामक लेखक ने अनेक व्यक्तियों से पूछताछ कर लिखा कि यह घटना विलक्षण सत्य थी और विज्ञान के लिये चुनौती भी। 73 लोगों ने उसे देखा और सबके बयान एक ही थे जो 200 पृष्ठों में टाइप किये गये थे। इस तरह की घटनाओं का संकलन करने वाली संस्था ‘नेशनल इन्वेस्टीगेशन कमेटी’ एयरियल फेनामेना वाशिंगटन ने भी उसकी पुष्टि की। श्रीमती विरजिनिआ, जो हैम्पटन में पत्रकार हैं, ने भी उसे देखा था और उसकी पुष्टि भी को। पर क्या यह प्रकाश पुँज कोई आत्मा थी, भूत या कोई सूक्ष्म शरीर? यह अब तक निश्चित नहीं हो सका।