रैक्य मुनि गाँव-गाँव गाड़ी ले जाते और उसमें विराजमान् भगवान् के सबको दर्शन कराते। राजा जनश्रुति ने कहा, आपके लिए सुविधाजनक रथ का प्रबंध किए देते है। इतना कष्ट न उठाएं। रैक्य मुनि ने कहा, गाड़ी खींचने से रास्ता चलने लोगों को भी दर्शन कराता रहता है। अपनी उदारता का कहीं अन्यत्र उपयोग कीजिए। जनश्रुति निरुत्तर थे। ज्ञान मंदिर के रूप में प्रतिमा स्थापित कर गाँव-गाँव घूमना, अन्यों को दर्शन के साथ ज्ञान का लाभ देना भी सबसे बड़ा पुण्य है।