समग्र रूप से जाना (kahani)

November 2000

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

रामकृष्ण परमहंस के अवसान के तुरन्त बाद शिष्यगणों में व्याप्त अवसाद को विवेकानन्द ने अपनी विवेक दृष्टि से देखा और उनका समाधान करते हुए कहा, “भाइयों ! हमारे गुरु हमें कोई आश्रम, मठ, संपत्ति, ट्रस्ट देकर नहीं गए, पर एक दृष्टि दे गए हैं कि हमें कैसा जीवन जीना चाहिए। यदि हमें सामर्थ्यवान् वैभववान् बनना है, तो लोक-कल्याण के लिए, गुरु के देश को विश्वव्यापी बनाने के लिए गुरुदेव ने जो संयम रूपी शिक्षा हमें दी है, वही हमारे लिए बहुत है। संस्कृति के पुनर्जीवन हेतु अनिवार्य साधन हम उसी से एकत्र कर लेंगे।”

गुरुभाई के देश में जैसे जादू था, अवसाद दूर हुआ। सभी संगठित हो जुट पड़े, समय आने पर अलग-अलग दिशाओं में फैल गए और प्रत्येक ने एक वैभव साम्राज्य खड़ा कर दिया, जो देश-विदेश में रामकृष्ण मिशन नाम से समग्र रूप से जाना जाता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118