VigyapanSuchana

November 2000

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प्रस्तुत अंक संस्कृति पुरुष अंक के रूप में लिखा गया है। सृजन-संकल्प विभूति महायक्ष की बेला में इसका प्रकाशन देवसंस्कृति के निर्धारणों को समर्पित परमपूज्य गुरुदेव के जीवन के महत्त्वपूर्ण दुर्लभ अंशों के साथ किया जा रहा है। आशा है कि अधिक-से-अधिक पाठकों तक इस व आगे के अंकों को पहुँचाने का संकल्प परिजन लेंगे। आगामी अंक में 9 पृष्ठ रंगीन सहित विस्तार से महापूर्णाहुति का वर्णन होगा।


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