जिज्ञासु ने पीर फकीर से पूछा ईमान वाला और अल्लाह का प्यारा बनने का मार्ग बताने की कृपा कीजिए।
फकीर ने उसे कब्रिस्तान भेजा और कहा सभी कब्रों के मुर्दों को गालियाँ देकर आओ। उसने वैसा ही किया। दूसरे दिन फिर उससे वहीं जाने को कहा गया और आदेश मिला कि कब्रों पर फिर जायें और मुर्दों को उनकी भरपूर प्रशंसा कर सुनायें। जिज्ञासु ने वैसा किया और वापस लौट आया।
फकीर ने पूछा कि इन निन्दा प्रशंसा में उन कब्रों पर कोई फर्क पड़ा है उत्तर था नहीं।
समझाया गया कि “बन्दे! लोगों को, निन्दा प्रशंसा ही मनुष्य को विचलित करती रहती है और अल्लाह से दूरी बढ़ाती है। यदि कोई निन्दा प्रशंसा की परवाह किये बिना मात्र अपने कर्तव्यों को देखे और एक निष्ठाभाव से कल्याण मार्ग पर चले तो उसे लक्ष्य तक पहुँचने का राज मार्ग मिल जायगा।