उनकी आँखों से बेधक किरणें निकलती थीं।

January 1991

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“आपको लोग ‘एक्सरे’ आँखों वाली महिला कहते हैं? आखिर इसका रहस्य क्या? आप में इस दिव्य क्षमता का विकास कैसे हुआ? क्या आपने कोई विशिष्ट साधना की है?” एक पत्रकार ब्रिटेन की विलक्षण शक्ति सम्पन्न महिला एनी ओवन्स से ताबड़तोड़ प्रश्न किये जा रहा था। ओवन्स ने बड़े धैर्यपूर्वक उसके सवालों को सुना और संक्षेप में उत्तर दिया “जहाँ तक मुझे स्मरण है, मैंने ऐसी कोई साधना नहीं की है, जो ऐसे दिव्य सामर्थ्य के उद्भव के लिए जिम्मेदार होती है। हाँ, पर एक काम मैंने अपने जीवन में अवश्य किया हैं, वह है सच्चे अर्थों में अध्यात्म को समझने और उसे जीवन में चरितार्थ करने का प्रयास-अभ्यास। मैंने महत्वाकांक्षा रहित जीवन जिया और अपनी योग्यता, क्षमता और सम्पदा से अभावग्रस्तों की सहायता करने में कोई कोर कसर उठा न रखी। मैं इसे ही अपनी अद्भुत क्षमता के विकास के लिए उत्तरदायी मानती हूँ। मैंने भौतिक अनुदान सत्पात्रों को बाँटे और बदले में भगवान का दिव्य प्रतिदान हाथोंहाथ इसी जन्म में प्राप्त किया।”

यह उद्गार थे, एनी ओवन्स के, जो 1930 के दशक की इंग्लैण्ड की बहुचर्चित महिला रही थीं। उन्होंने “माइ लाइफ इटसेल्फ इज ए मिरेकल” नाम से अपनी एक आत्मकथा लिखी है, जिसमें ढेर सारी ऐसी घटनाओं को वर्णन किया है, जिन्हें आश्चर्यजनक कहा जा सके। एक घटना का उल्लेख करते हुए वह लिखती है कि एक दिन दोपहर में आराम करने की नीयत से जैसे ही वह बिस्तर में लेटीं और आँखें बन्द कीं, वैसे ही फिल्म की भाँति एक दृश्य मानस पटल में घूम गया। दृश्य ‘हैराल्ड ऑफ फ्री इण्टरप्राइज’ में फँसे एक पानी वाले जहाज का था, जिसके सभी यात्री बेचैन दिखाई पड़ रहे थे और मौत से बच निकलने का प्राणप्रण से प्रयत्न कर रहे थे। सहायता हेतु भगवान से करुण प्रार्थना कर रहे थे। वे कहती हैं कि उनके कानों तक वह आवाजें स्पष्ट पहुँच रही थीं। तभी उन ने देखा बचाव कार्यों में जुटे गोताखोरों ने भी निराश होकर बचाव कार्य बन्द कर दिये। वह उठ बैठी और ध्यान के माध्यम से दूर संवेदी तरंगें गोताखोरों तक भेजने और प्रेरणा देने लगीं- ‘प्रयास जारी रखो, बन्द मत करो।”

इसके बाद एनी ने आपात सेवा प्रदान करने वाले विभाग को फोन किया कि अमुक स्थान पर एक जहाज और उसके यात्री मौत के मुँह में फँसे हुए हैं, कृपया उन्हें जल्द ही आपात सेवा प्रदान की जाय, पर उन लोगों ने इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया। संभवतः वे यह समझ रहे हों कि इस घटना कि जानकारी तत्संबंधी विभाग को न होकर एक सामान्य सी महिला को किस तरह हो सकती हैं, यह मानकर विभाग ने विनती टाल दी हो सकती हैं, यह मानकर विभाग ने विनती टाल दी हो जब वहाँ से इस दिशा में कोई कदम उठाता दिखाई न पड़ा, तो एनी ने स्थानीय रेडियो स्टेशन परिचित प्रोड्यूसर गैरी सैवेज को इस आशय का फोन किया और और उन्हें किसी प्रकार सहायता प्रदान करने की विनती की। गैरी ने पुनः संबंधित अधिकारियों से इसके लिए प्रार्थना की। इसके बाद ही संकट में फँसे यात्रियों को बचाया जा सका।

एनी ने अपनी इसी क्षमता के सहारे एक पुलिस अफसर की, हत्यारे को पकड़वाने में सहायता की थी। हत्यारा कोई भी सुराग नहीं छोड़ गया था। एनी ने हत्या की गई लड़की के फोटो और खून से लथपथ वस्त्रों को ध्यानपूर्वक अवलोकन किया। बस फिर क्या था, सारा घटनाक्रम फिल्म की तरह उसके नेत्रों के आगे घूम गया। उसके दिव्य नेत्रों ने देखा कि लड़की का हत्यारा उसका ही अन्तरंग मित्र कार्ल हैन्स स्काफ नर है। इसी सूचना के आधार पर वह पकड़ा गया। बाद में उसने अपना अपराध भी स्वीकार लिया।

एक बार एनी अपने पिता के साथ कार में सैर करने को निकली। अचानक उसके सामने एक दृश्य उभरा, जिसमें दिखाई पड़ा कि कार का एक पहिया निकल रहा है। वह चीख पड़ी -डैडी-डैडी कार रोकिये। दुर्घटना होने वाली है।” पिता ने कार रोकी और देखने के लिए बाहर निकले। जब दृश्य देखा, तो दुर्घटना की कल्पना कर ही रोमाँचित हो उठे। कहने लगे- “यदि थोड़ी भी देर होती तो कोई नहीं बचते बेटी।

किशोरावस्था से ही एनी के विलक्षण चमत्कार लोगों को दिखाई पड़ने लगे थे। वह अपनी आत्मकथा में लिखतीं हैं “मैं हमेशा जानती थी कि परिवार के किस व्यक्ति को क्या तकलीफ है। अपनी बेधक दृष्टि उन पर डालती और पूछती क्या तुम्हारी छाती में दर्द है? और हमेशा ही मेरा अनुमान सही होता, मैं व्यक्ति के वस्त्र के अन्दर छिपी किसी भी वस्तु को स्पष्ट देख सकती थी, जैसे वह वस्तु प्रत्यक्ष मेरे सामने रखी हो।”

एक बार उसकी चाची, जो कि पड़ोस में ही रहती थी, के यहाँ एक बड़ी मजेदार घटना घट गई। चाची रायसा का एक स्वर्ण आभूषण ड्रेसिंग टेबल से अचानक एक दिन गायब हो गया। रायसा ने समझा कि शायद उसने आभूषण कहीं अन्यत्र रख दिया हो, अतः सारी अलमारियों और दूसरे स्थानों में इसकी गहरी ढूँढ़ खोज की गई, पर वह वहाँ रहता, तब तो मिलता। आखिर हार कर उसने यह अनुमान लगा लिया कि वह चोरी चला गया, पर दोष किस पर लगाये? घर में तो कुल चार सदस्य थे- पति, पत्नी और बच्चे ऐसे थे नहीं, कि उन पर शक किया जाय। फिर गहना कहाँ गया? किसी के समझ में नहीं आ रहा था। अन्ततः मामला एनी के पास पहुंच सब कुछ सुनने के बाद वह थोड़ी देर चुपचाप आँखों बन्द कर बैठ गई। दूसरे ही पल आँखें खोलीं और मुसकराते हुए बोली “चाची! आभूषण आपके एक पालतू पशु ने अपने घर में छिपा रखा है” सभी चकरा गये। घर में जन्तु भी तो नहीं पाल रखा है, फिर चुराने वाला पशु कौन हो सकता है! जिज्ञासा जब चरमोत्कर्ष पर पहुँच गई, तो एनी ने रहस्योद्घाटन करते हुए कहा। “एक चूहे ने उसे अपने बिल में छुपा रखा है। घर के भीतर के कोने में ही वह स्वर्णाभूषण पड़ा हुआ है, अतः चिन्ता की कोई बात नहीं। उसे खोदकर निकाल लीजिए।” सचमुच वह वहीं पड़ा मिला, जिससे रायसा की खुशियाँ फिर वापस आ गई।

उसकी दृष्टि में एक यह भी विशेषता थी, कि वह जिस किसी भी रोगी पर नजर डालती, कुछ दिनों में वह बिल्कुल स्वस्थ हो जाता। मेडस्टोन कैंट की 46 ब्रैडा डायसन की पसलियों में कुछ दिनों से असह्य दर्द था। अनेक उपचार करवा चुकी थी। किसी से थोड़ा -बहुत अन्तर भी आ जाता था, पर पूर्णरूप से उसका दर्द नहीं जा पा रहा था। किसी मित्र ने उसे एनी के पास जाने की सलाह दी, तो वह तैयार हो गई। एनी ने थोड़ी देर उससे मधुर बातें की। इस मध्य वह अपलक दृष्टि से ब्रैडा को निहारती रही। फिर कुछ क्षण पश्चात् उसने दर्द वाले स्थान पर अपना हाथ रख दिया। कुछ देर वैसा ही रखे रही। इसके बाद ब्रैडा ने महसूस किया कि धीरे-धीरे उसका दर्द कम हो रहा है। चार दिनों के उपरान्त वह अपनी पसलियों के दर्द से पूर्णतः छुटकारा पा चुकी थी।

मानव के अन्दर सोया पड़ा जखीरा इतना सशक्त एवं प्राणवान है कि उसका निज के आत्मिक उत्थान व दूसरों के कल्याण के लिए सुनियोजन संभव है। योगी-ऋषि तपस्वी-महामानव मात्र अपने दृष्टिपात से मन के भावों को जानकर सुपात्र को वरदानों से लाभान्वित कर देते थे, उसके मूल में योग साधना द्वारा अर्जित दिव्य सामर्थ्य ही था। हर किसी में ये संभावनाएँ विद्यमान हैं।


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