रोना बंद कर दिया (Kahani)

January 1991

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एक किसान का इकलौता पाँच वर्ष का बच्चा मर गया। उसे अतिसार रोग रहने गला। मन अति खिन्न रहने लगा वह अक्सर आँसू बहाया करता।

एक रात उसने सपना देखा कि परलोक में बच्चों की एक कतार खेलने के लिए कहीं जा रही हैं, सब के हाथों में जलती मोमबत्तियाँ भी है। किसान का बेटा अन्त में था। उसे देखा तो किसान प्रसन्न भी हुआ। पर बच्चे को उदास देखकर उसका कारण पूछा। उसके साथी प्रसन्नतापूर्वक आगे बढ़ रहे थे और वही पीछे भी था और उदास भी।

बच्चे ने अपने पिता को पहचान लिया और कहा आप रोते रहते हैं। वे आँसू आकर मेरी जलती मोमबत्ती को बुझा देते है। इसी से मुझे उदास भी रहना पड़ता है और बार बार जलाने के कारण पीछे भी रह जाता हूँ। आप न रोया करें तो मुझे यहाँ परेशानी न उठानी पड़ा करें।

पिता ने आँख खुलने पर अपना मन समझा लिया और स्वर्गीय आत्मा की परेशानी को समझते हुए रोना बंद कर दिया।


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