पूर्वानुमान का ज्ञान-विज्ञान

March 1989

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

भविष्य का पूर्वानुमान किन आधारों पर संभव होता है, संभाव्य की जानकारी व्यक्ति को, समूहों की पूर्वचेतावनी अथवा संदेशों के रूप में किस प्रकार मिल जाती है, यह प्रतिपादित करने से पूर्व हमें कालचक्र पर एक दृष्टि डालनी होगी, उसकी संरचना को समझना होगा। काल के तीन खण्ड माने जा सकते है-भूत, वर्तमान एवं भविष्य। तीनों की ही अपनी अपनी जगह महत्ता है।

मनुष्य का, घटनाक्रमों का वर्तमान ही सामान्यतया सबसे परिचय में आता है। भूतकाल की उपयोगिता इतनी भर है कि उन स्मृतियों, घटनाक्रमों और अनुभूतियों के आधार पर वर्तमान को बनाया, सुधारा सँवारा जा सकता है, किन्तु भविष्य में क्या होना है? कैसे संभव होना है? इसको तो मात्र कल्पना के आधार पर आज के क्रिया कलापों को देखते हुए जाना जा सकता है। चिन्तन क्षेत्र का अधिकाँश हिस्सा भविष्य की कल्पनाओं में ही सदैव निरत रहता है। इसे यों कहना ठीक रहेगा कि भावी निर्धारणों का स्वरूप ही चिन्तन क्षेत्र की सबसे बहुमूल्य सम्पदा है। प्रत्यक्षतः भविष्य दिखाई न पड़ने पर भी शक्ति उन काल्पनिक निर्धारणों में सर्वाधिक व्यय होती है, जिनके माध्यम से आने वाले कल का ताना बाना बुन जाता है। समूहगत चिन्तन प्रवाह जिस दिशा में बहने लगता है, तदनुरूप ही उसकी नियति बन जाती है इसी को कहते है-भविष्य निर्धारण।

भविष्य निर्धारण में सबसे महत्वपूर्ण प्रसंग है-पूर्वाभास, पूर्वकथन या “प्रोफैसी”। घटनाक्रम घटने के पूर्व ही उसके स्वरूप की घटने के समय की लगभग सही भविष्यवाणी कर देना। समय को, काल खण्ड को बहुआयामी मानने वाले मनीषीगण कहते है कि भविष्य के बीजाँकुर वर्तमान में निहित होते हैं एवं इन्हें प्रस्फुटित कर उस भावी परिणति को जाना व वाँछित परिवर्तन कर पाना मनुष्य के लिए संभव है। एक माली बीज का पर्यवेक्षण कर बता सकता है कि वृक्ष का स्वरूप कैसा होगा? कैसे फल देगा? कब फल देगा? आर्चीटेक्ट, इंजीनियर्स, कल्पना शक्ति के आधार पर भव्य भवनों की, अट्टालिकाओं की आकृति अंकित कर एक प्रकार से संभाव्य को मूर्त रूप दे देते है। ऋतु बदलती है, तो लोग परिवर्तन के पूर्वानुमान के सहारे अपनी तैयारी कर लेते है। भविष्य ज्ञान ही तो यह है, जो व्यक्ति को चिरसंचित अनुभवों के आधार पर अपनी पूर्व तैयारी की दिशा देता है।

डरहम विश्वविद्यालय, इंग्लैण्ड के गणितज्ञ भौतिकविद् डॉ गेरहार्ट डीटरीख वासरमैन का कथन है कि मनुष्य को भविष्य का आभास इसलिए होता रहता है कि विभिन्न घटनाक्रम “टाइमलेस” (दिक्काल से परे) मेण्टल पैटर्न-चिन्तन क्षेत्र के निर्धारणों के रूप में विद्यमान रहते है। ब्रह्माण्ड का हर घटक इन घटनाक्रमों से जुड़ा होता है, चाहे वह जड़ हो अथवा चेतन।

स्वामी विवेकानन्द का मत था कि “यूनिवर्स-यह सृष्टि, जिसे मेक्रोकाँस्म नाम से जाना जाता है, अपने गर्भ में अगणित माइक्रोकाँस्म व्यष्टि घटकों को समाहित किए है। ये चेतना घटनाक्रमों एवं चलते-फिरते जीवों-मानवों के रूप में भी हैं तथा जड़ समझे जाने वाले पादप, वृक्ष वनस्पति एवं अन्य घटकों के रूप में भी। अणु में विभु, लघु में महान, क्षुद्र में विराट् के रूप में इसी संज्ञा को वर्णित किया जाता है। इस व्यष्टि घटक में समष्टि से संबंध स्थापित करने, तादात्म्य बिठाने की अभूतपूर्व सामर्थ्य होती है। यही भविष्य विज्ञान का, जो कुछ भी घटित होने वाला है, उसकी झलक-झाँकी अपने मन-मस्तिष्क में देख पाने का मूलभूत आधार है।

विल्हेम वाँन लिबनीज का कथन था कि “हर व्यक्ति में यह संभावना छिपी पड़ी है कि वह अपनी अन्तर्प्रज्ञा को जगा कर भविष्य काल को वर्तमान की तरह दर्पण में देख ले। जो भी दिव्य द्रष्टा मनीषी हुए है, वे इसी क्षमता को जगा कर भविष्य की संभावनाएँ व्यक्त कर सके एवं उस आधार पर वर्तमान के ढाँचे को बदलने की, परिष्कृत करने की सहमति दे सके”।

कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के भौतिकविद् प्रोफेसर एड्रियन डांस ने भविष्य कथन संबंधी अपनी प्रतिपादन एक सेमिनार में 1165 में प्रस्तुत करते हुए कहा था “कि भविष्य में घटने वाली हलचलें मानव की वर्तमान में एक प्रकार की तरंगें पैदा करती है, जिन्हें “साइट्रोनिकवेवफ्रण्ट” कहा जा सकता है। इन तरंगों की स्फुरणाओं को मानवी मस्तिष्क के घटक न्यूरान्स (स्नायु कोश) पकड़ लेते है एवं इस प्रकार व्यक्ति भविष्य का अनुमान लगा पाने की स्थिति में आ जाता है। मस्तिष्क की अल्फा तरंगों तथा साइट्रोनिक वेव्स की फ्रीक्वेंसी (आवृत्ति) एक ही होने से यह एक बड़ी सरल प्रक्रिया है। मात्र मस्तिष्क को सचेतन स्तर पर जाग्रत बनाये रहने की आवश्यकता है, ताकि संभावित घटनाक्रमों का खाका समझा जा सके।”

“सुपरेचर” पुस्तक के लेखक लायल वाट्सन के अनुसार “प्रिकाँग्नीषन” शब्द का अर्थ होता है पूर्वानुमान, जो कुछ घटित होने वाला हो, उसकी पहले से जानकारी हो जाना। वे एक पुस्तक “आइचिंग” अर्थात् “बुक ऑफ चेन्जेज’’ जो 3000 वर्ष पूर्व लिखी गई थी, का हवाला देते हुए लिखते है कि भावी निर्धारण एवं वर्तमान में जो किया जा रहा है, उसमें क्या कुछ परिवर्तन कर भविष्य को स्वयं अन्यों के लिए उज्ज्वल बनाया जा सकता है, यू पूर्णतः ज्यामितीय आधार पर गणना करके जाना जा सकता है। मानवी मस्तिष्क में वे सभी समाधान तथा संभावनाएँ उनके विकल्प विद्यमान है। क्रिस्टल बॉल के द्वारा श्रीमती जीन डिक्सन इसी आधार पर अपनी अंतः प्रज्ञा को जाग्रत कर भविष्य के गर्भ में झाँकी करती थी। वे लिखती है कि हर मनुष्य भविष्यवक्ता बन सकता है, किन्तु कुछ व्यक्ति कभी-कभी शत-प्रतिशत सही भविष्यवाणी बिना किसी पुरुषार्थ के करने की जो योग्यता रखते है, वह या तो देवी अन्तः स्फुरणा के आधार पर अथवा व्यष्टि चेतना का समष्टि से सीधे संपर्क होने पर व्यक्ति विशेष, समय विशेष अथवा परिस्थितियों की जानकारी प्राप्त हो जाने की क्षमता के कारण उनमें विकसित होती है। यह पूर्वजन्मों के आधार पर अर्जित विशेषता भी हो सकती है। नोस्ट्राडेमस, काण्ट लुई हेमन (कीरो) तथा महर्षि अरविन्द ऐसे ही दिव्य दृष्टि सम्पन्न व्यक्तियों में माने जाते है।

विलियम काक्स नामक एक अमेरिकी गणितज्ञ ने एक रोचक सर्वेक्षण कर यह जानने का प्रयास किया कि क्यों विभिन्न स्थानों पर बैठे व्यक्ति अचानक उन यात्राओं को, जो रेल या हवाई जहाज से की जाने वाली थी, स्थगित कर देते है व बाद में पता चलता है कि वे किसी दैवी प्रेरणा अथवा पूर्वानुमान के कारण एक ऐसी अभिशप्त यात्रा से बच गए, जो उन्हें सीधे मौत के मुँह में ले जाती उन्होंने दुर्घटनाग्रस्त रेलों का सर्वे करके पाया कि उस दिन उस विशेष यान अथवा रेल से यात्रा करने वालों की संख्या अपेक्षाकृत बहुत कम रही एवं कइयों ने अपने रिजर्वेशन स्थगित कराये। दुर्घटनाग्रस्त यान या रेलवे कोच में बैठने से पूर्व ही उन्हें पूर्वाभास हो जाने से जानबूझ कर उनने यात्रा को स्थगित कर दिया। विलियम काँक्स कहते है कि दुर्घटनाग्रस्त हुई ट्रेन अथवा वायुयान में यात्रा करने वालों एवं इनके पूर्व तथा बाद में यात्रा करने वालों की संख्या में इतना बड़ा अन्तर था कि इसे महज संयोग नहीं कहा जा सकता। आसन्न संकट की यह एक समष्टिगत चेतावनी मानी जा सकती है, जो संभव है, सबको मिली हो, पर जो काल के ग्रास हो गए, वे उसकी अवमानना करके उस डूम्ड वाहन में बैठे तथा जो बच गए उनने उसे गंभीरता से लिया व वे बच गए। इसे वे “कलेक्टिव अवेयरनेस” कहते है, जिसका शाब्दिक अर्थ है-आसन्न भवितव्यता के विषय में समूहगत जागरूकता एवं भावार्थ हुआ दैवी प्रेरणा-अन्त स्फुरणा-पूर्वाभास। “जनरल ऑफ अमेरिकन सोसायटी फार साइकिकल रिसर्च” (1156) में प्रकाशित विलियम काँक्स के विवरणानुसार 15 जून 1152 को शिकागो व इलिनायस के बीच यात्रा करने वाले “जार्जियन” नामक दुर्घटनाग्रस्त हुई ट्रेन के यात्री उस विशेष दिन मात्र नौ थे, जबकि उस घटना के 14 दिन पूर्व व बाद के 14 दिनों में उनकी संख्या औसतन बासठ व अड़सठ के बीच थी। संख्या का यह विरोधाभास उनने 15 दिसम्बर 1152 को दुर्घटनाग्रस्त हुई शिकागो व मिलवाऊकी के बीच चलने वाली ट्रेन में पाया। ऐसी लगभग 100 घटनाओं में से 10 से अधिक में यात्रा करने वालों को, जो जीवित बच गए, घटना का पूर्वाभास हो चुका था।

शुक्रवार 21 अक्टूबर 1166 के दिन सबेरे 1 बजकर पन्द्रह मिनट पर इंग्लैण्ड के “अबरफान” नामक वेल्श खदानों के क्षेत्र में स्थित एक गाँव में लगभग 5 लाख टन कोयला मिश्रित लावा एक भूस्खलन में एक सौ चालीस व्यक्तियों को मौत के मुँह में लेता हुआ गाँव को समूचा नष्ट कर गया। कईयों ने इस समाचार को पेपर में पढ़ा। इस दुर्घटना के संबंध में पूरे इंग्लैण्ड में अगणित व्यक्तियों को पूर्वाभास कुछ क्षणों से कुछ दिन पूर्व तक सतत् होता रहा था। एक व्यक्ति जिसने गाँव का नाम भी नहीं सुना था, उसने स्वप्न में “अवरफान” की स्पेलिंग लिख कर स्थानीय समाचार पत्र को भेज दी थी, कि ऐसा कुछ घटित होने वाला है। घटना में दिवंगत एरिल में जोन्स नामक 1 वर्षीय एक लड़की ने अपनी माँ को एक दिन पूर्व ही बताया था कि उसके स्कूल पर काला पहाड़ गिर पड़ा है व स्कूल नष्ट हो गया है-यह स्वप्न उसने देख है। माँ बच गई, किन्तु वह लड़की अपना पूर्वाभास बताकर काल का ग्रास बन गई। किसी ने लोगों की चीख पुकार, किसी ने पहाड़ टूटने, किसी ने जमीन में बड़ा गड्ढा होने-ऐसे स्वप्न लगभग दो सप्ताह पूर्व से घटना के दिन तक प्रतिदिन देखें। केण्ट का एक व्यक्ति, जिसने इस घटनाक्रम को यथावत् देखा, दो दिन पूर्व अपने सहकर्मियों को यह कहता पाया कि शुक्रवार को कुछ भयंकर वेल्ष में घटित होने जा रहा है। बाद में किए सर्वेक्षण से भी अधिक व्यक्तियों ने अपनी पूर्वाभास की सूचना दी। यह समूहगत पूर्वाभास की साक्षी देने वाली एक महत्वपूर्ण घटना है।

सिनसिनाटी, ओहियो (अमेरिका) के डेविड बूथ नामक एक ऑफिस मैनेजर को मई 1171 में एक दिन तक लगातार यह पूर्वाभास होता रहा कि अमेरिकन एयरलाइन्स का एक विमान आकाश में फट पड़ा व जलते यान के मलवे में, लपटों में कई शव पड़े है। वे कहते है कि यह स्वप्न नहीं था। बैठे बैठे उन्हें कई बार रोमाँचित कर देने वाली यह लोमहर्षक अनुभूति हुई जैसे वे टेलीविजन देख रहे हो। 22 मई 1171 को उन्होंने फेडरल एविएषन अथॉरिटी एवं सिनसिनाटी एयरपोर्ट के कार्यालयों में फोन पर यह सूचना भी दी एवं एक मनोचिकित्सक से संपर्क कर उसे भी सारा वृतान्त सुनाया। 26 मई को 4 दिन बाद शिकागो के अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे पर अमेरिकन एयरलान्स का एक डी सी 10 जेट जब दुर्घटनाग्रस्त हुआ एवं अमेरिका के इतिहास में भयंकरतम घटनाओं में से एक इसमें सभी 274 व्यक्ति जो इसमें सवार थे, मृत्यु को प्राप्त हुए तो सभी ने डेविड बूथ को हुए पूर्वाभास को याद किया। यह पूर्वाभास इतना सही था कि फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेषन जो इस एयरलाइन्स को चलाता था, को ही डेविड ने तीन तीन बार इसकी सूचना दी व कहा कि इस संभावित दुर्घटना को रोकिये” द अनएक्सप्लेण्ड मिस्ट्रीज ऑफ माइण्ड एण्ड स्पेस “(वाल्यूम अंक 6) में इस घटना को विस्तार से दिया गया है। भवितव्यता की पूर्व चेतावनी का यह एक अनोखा उदाहरण है।

अचेतन के ऐसे पूर्वाभास हममें से अनेकों को होते रहते है। कुछ उन्हें याद रखते है, कुछ भूल जाते है, पर उपरोक्त घटनाक्रमों में सामूहिक स्तर पर कईयों को अथवा एक व्यक्ति को भवितव्यता का पूर्वाभास हो चुका था। यह इस तथ्य का द्योतक है कि भविष्य को जानने की क्षमता-सामर्थ्य मनुष्य में विद्यमान है। यदि थोड़ी सी भी गंभीरता से अचेतन की स्फुरणाओं को लिया जाय, तो न केवल अशुभ अनिष्ट से बचा जा सकता है, शुभ या सुखद संभावनाओं को भी जाना जा सकता है।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118