एक चिकित्सक अमोघ चिकित्सा के लिए प्रख्यात थे। वे स्वयम् भी निरोग रहते और असाध्य रोगियों तक को रोग मुक्त करते। दिन भर वे लकड़ी काटने का काम करते और जंगल में रहते थे।
एक दिन किसी असाध्य रोग से पीड़ित एक श्रीमान उन्हें खोजते हुए जंगल में पहुँचे। व्यथा सुनकर उन्होंने वहीं एक महीने के लिए सेवन योग्य दवा दी और कहा इसे अपने माथे के पसीने में गीली करके प्रातः सायं खाया करना।
पसीना निकालने में उस बड़ी मेहनत करनी पड़ती। इस आधार पर निठल्लापन दूर हुआ साथ ही रोग मुक्त होने का अवसर भी मिला।
वह श्रीमान बहुत दिन बाद चिकित्सक का उपकार जताने और कुछ भेंट देने फिर पहुंचे साथ ही उस औषधि का नाम बताने तथा बनाने का विधान समझाने का आग्रह किया, ताकि जरूरत पड़ने पर उसे स्वयम् ही बना लिया करें।
चिकित्सक ने समझाया। औषधि तो सूखी घास भर थी पर उसका अनुपान पसीने से मिलाना था। कड़ी मेहनत ही वह दवा है जिससे सभी रोग दूर हो सकते है। आलसी को ही सब रोग घेरते है।