चार महिलाएँ कुण्ड पर पानी भर रही थीं। उन चारों के एक एक पुत्र था। चारों अपने लड़कों की विशेषता बखान रहीं थी।
एक ने कहा मेरा बेटा बहुत सुँदर है। दूसरी ने अपने को बुद्धिमान कहा तीसरी ने बलवान कहा था। चौथी जब तक कुछ कहने वाली थी कि उसका लड़का स्कूल से आ गया। उसने चारों महिलाओं के चरण स्पर्श किये। और अपनी माता वाला पानी भरा पड़ा सिर पर रख कर चलने लगा चौथी ने इतना ही कहा मेरे बेटे में तो एक ही गुण है शालीनता। शेष महिलाएँ सोचने लगी यदि हमारे बेटों में अन्य विशेषताओं की अपेक्षा यदि मात्र शालीनता होती तो उतना भी बहुत था।
शैतान पर एक बार आवेश पड़ा कि सन्त बनाना चाहिए उसने बैरागी बनने की ठानी और अपना सारा मास असहाय हान कर दिया।
इस प्रयास के बीच उसे कुछ असमंजस .... उसने इकट्ठे किये माल में से एक छोटी डिब्बी उठा कर जेब में रख ली।
एक सन्त यह देख रहा था। जब सब काम समाप्त हो गया तो सन्त ने शैतान के कान में पूछा यह एक छोटी डिब्बी कैसी है? उसे आपने क्यों बचा लिया? क्या छिपा कर जेब में रख ली?
शैतान ने अपने मन की बात बताई और कहा कि मन में यह संदेह उठा क्योंकि यह सब माल न बिका तो फिर शैतानी करनी पड़ेगी। अपनी माया फिर फैलानी पड़ेगी। अपना समुदाय फिर खड़ा करना पड़ेगा। इसलिए इस डिब्बी में एक करामात छिपा कर रखी है जिसके प्रभाव से भले अच्छा आदमी को शैतानी के जाल में फँसाया जाये।
सन्त का आश्चर्य और भी बड़ा। उसने ध्यान किया ऐसी चीज क्या है जो मनुष्य को शैतानी के जाल में फँसाया जाये।
सन्त के उनके प्रश्न का उत्तर देते हुए शैतान ने उस डिब्बी को खोल कर दिखाया। उसमें जो वस्तु थी उसका नाम था आलस।
आलसी आदमी को निश्चय ही अनेक हड़प कर लेते हैं और शैतान के समुदाय में सम्मिलित हो जाता है।