VigyapanSuchana

August 1986

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हमारी वसीयत और विरासत प्रकाशित

बहु प्रतीक्षित ग्रन्थ जो कि पूज्य गुरुदेव की लेखनी से आत्म कथा के रूप में सृजा गया है, प्रकाशित हो चुका है। प्रस्तुत पुस्तक में उनके असामान्य जीवन क्रम के उन प्रसंगों की चर्चा है जिनके कारण आज इतने वृहत प्रज्ञा परिवार के प्रमुख सिद्ध सन्त, एक मनीषी के रूप में वे प्रतिष्ठित हैं। उनकी सावित्री साधना एवं भावी जीवन जीवन क्रम संबंधी रहस्योद्घाटन भी प्रस्तुत आत्म कथा में है। अपने ढंग की अद्भुत इस पुस्तक में सभी पाठकों के लिए आत्मिक प्रगति की दिशा में बढ़ने योग्य समुचित मार्ग दर्शन है। पुस्तक गायत्री तपोभूमि मथुरा से उपलब्ध है। मूल्य है रु. 6.50 डाक खर्च अतिरिक्त।


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