अचूक नुस्खा (kahani)

August 1986

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

वर्नार्डशा के एक डॉक्टर मित्र थे। वे अक्सर बीमार रहते थे। शा न कहलवा भेजा कभी आप फुरसत में हों तो मेरा मुआइना कर जायें।

डॉक्टर तुरन्त दौड़े आये। पर सीढ़ियों पर चढ़ते-चढ़ते हाँफ गये। शा ने उन्हें आराम-कुर्सी दी और एक गिलास पानी पिलाया। कहा- देखा आपने मैं उम्र में आपसे कितना बड़ा हूँ और इन्हीं सीढ़ियों पर दिन में तीन बार चढ़ता उतरता हूँ। कभी हाँफता नहीं आप कहें तो वह नुस्खा आपको भी बता दूँ।

डॉक्टर ने कहा- “कृपा पूर्वक बता दीजिए। मुझे जहाँ भी जाना होता है वहाँ इस शिकायत का सामना करना पड़ता है।”

शा ने कहा- “अपनी खुराक में एक तिहाई कटौती कर दें।”

साथ ही कहा नुस्खा बताने की फीस पाँच शिलिंग दीजिए। डॉक्टर ने हँसते हुए पाँच शिलिंग उन्हें दे दिये।

शा अपने बीमार मित्रों को अक्सर इसी बहाने बुलाया करते थे और नीरोग रहने का यह अचूक नुस्खा बता कर पाँच शिलिंग वसूल किया करते थे।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles