सन् 2000 की विभीषिका

August 1986

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नास्ट्रॉडामस अपने समय के असाधारण भविष्यवक्ता थे। यों उन्होंने इन विशेषताओं को प्राप्त करने के लिए कोई साधना नहीं की थी, पर यह अनुदान उन्हें दैवी अनुग्रह की तरह जन्मजात रूप में ही मिला। वे किसी के पूछने पर कभी-कभी ही उत्तर देते थे। पर जब अपनी मौज मर्जी छूटती तो कथन के प्रवाह को रोकते न थे और इस प्रकार कहते चले जाते थे कि तात्पर्य समझने पर उनके मित्र ही उन्हें “बावला” कहने लगते थे।

वे एक साधारण यहूदी परिवार में जन्में पर पीछे उन्हें शासन के दबाव से विवश होकर ईसाई धर्म स्वीकार करना पड़ा। उन्होंने अध्ययन में लम्बा समय लगाया। यायावरों की तरह दूर देशों में घूमे और अपना अनुभव बढ़ाया। उन्होंने चिकित्सक की पदवी हासिल करली थी और उसी पेशे को निर्वाह का साधन बनाया। भविष्यवाणी तो शौक मौज में करते थे। वह उनका व्यवसाय न था।

कभी-कभी उनकी बातें इतनी सटीक बैठती थीं कि लोग चकित रह जाते थे। उनके एक मित्र ने दो सूअर के बच्चे पाल रखे थे। मजाक में उनके मित्र ने पूछा इन बच्चों का भविष्य बताओ। नास्ट्रॉडामस ने कहा काले बच्चे को कल हम लोग खाएँगे और सफेद किसी भेड़िये के पेट में चला जायगा। उनके इस कथन को गलत सिद्ध करने के लिए पहले सफेद बच्चा काटा गया। रसोइये ने उसे पका कर रख दिया। इतने में मालिक का पालतू भेड़िया आया और पतीली को पूरी तरह साफ कर गया। अब मालिक की नाराजी का ध्यान आया तो उसने काला वाला काट लिया और उसे पकाकर दोनों मित्रों को परोसा। मित्र ने हँसते हुए कहा- “तुम्हारा भविष्य कथन गलत हो गया न!” इस पर उत्तर मिला- “यह काले सूअर का माँस है। सफेद तो कभी का भेड़िये के पेट में चला गया।” वस्तुस्थिति का पता लगाया गया तो रसोइये ने सारी घटना कह दी। कथन वही सत्य सिद्ध हुआ जो पहले कहा गया था। घटना तो छोटी सी है पर बताती है कि उनमें आगत को जान लेने की क्षमता प्रारम्भ से ही थी।

1 जुलाई 1556 को उनका एक शिष्य शेविप्नी मिलने आया। वार्तालाप के बाद दूसरे दिन फिर मिलने की आज्ञा माँगी। इस पर उन्होंने उत्तर दिया कि “कल सवेरा होते-होते तो मैं इस दुनिया से चला ही जाऊँगा।” कथन नितान्त आश्चर्यजनक लगता था क्योंकि उस समय उनका स्वास्थ्य बिलकुल ठीक था। इतनी जल्दी मरने जैसी कोई बात नहीं मालूम पड़ती थी। भवितव्यता होकर रही। वे सूर्योदय से पहले ही दूसरे दिन मर गये।

नास्ट्रॉडामस अपने समय में कोई बहुत प्रख्यात न थे पर उनकी भविष्यवाणियाँ जब अक्षरशः सही उतरने लगीं, तब उनकी ओर लोगों का ध्यान गया। भूत और वर्तमान के संबन्ध में जो उनने लिखा था वह जनश्रुति के आधार पर कहा गया समझ लिया गया, पर जो भविष्य के संबन्ध में कहा गया था उस पर पीछे वालों ने बहुत ध्यान दिया और पाया कि उनने जो कहा था, वह समय आने पर सही होकर रहा।

उनने अपनी पुस्तक काव्य रूप में चौपदी की तरह लिखी है। उस हस्त लिखित पुस्तक को अठारह वर्षीय ऑक्सफोर्ड विश्व विद्यालय का छात्रा एरिका ने पुराने पुस्तकालय में से ढूँढ़ निकाला। ध्यानपूर्वक पढ़ा और पाया कि उसमें भावी घटनाओं के सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा है।

लेखक के मरने के उपरान्त जो भविष्यवाणियाँ सही उतरीं उनमें से कुछ इस प्रकार थीं।

- सन् 1954 में इंग्लैंड के सटन पार्क में मेंढक बरसे।

- हिटलर का उल्लेख उनके भविष्य कथन में किया गया था, जो चार सौ वर्ष बाद बताये हुए समय पर ही जन्मा और जिसने जर्मनी का द्वितीय युद्ध छेड़ा एवं सारी दुनिया का इतिहास बदल डाला।

- उसने अनेक वर्षों की फसलों की मौसम परिवर्तन की परिणति लिखी जो आने वाले वर्षों में खरी उतरी।

- उसने अगले चार सौ वर्षों में होने वाले आविष्कारों, औद्योगिक क्रान्ति का वर्णन किया। उन दिनों वैसा बन पड़ने की किसी को आशा न थी पर समयानुसार सभी परिवर्तन होते चले गये।

- प्रक्षेपणास्त्रों, उपग्रहों और पनडुब्बियों का उसने हाल लिखा है, जिनकी उन दिनों कोई कल्पना तक न करता था।

- जापान पर अणुबम गिराये जाने की विभीषिका की संभावना का भी उसने उल्लेख किया है।

- ईरान पर खुमैनी शासन, मुल्लावाद तथा आतंक का भी उसने जिक्र किया है।

- ईसा का परिवर्धित स्वरूप एशिया से पैदा होगा और जन-मानस को प्रभावित करेगा। यह व्यक्ति या विचार बुद्ध के कार्यों को आगे बढ़ाएगा।

तीसरे महायुद्ध का भी इस पुस्तक में संकेत है। ईसवी सन 1995 से लेकर 1999 तक विश्व में भयानक आतंक छाया रहेगा। बीसवीं सदी का अंत उसने अग्नि युग के रूप में कहा है जिसमें सर्वत्र अग्निकाण्ड के ही दृश्य दिखेंगे। सन् 2000 से पहले तक की वार्ताएं कहकर नास्ट्रॉडामस की लेखनी मौन हो गई है।

लगभग ऐसा ही संकेत अमृतसर से डेढ़ सौ वर्ष पूर्व एक सूफी संत द्वारा प्रकाशित पुस्तक “आणे वाले समय दा हाल” में भी मिलता है।

इन्हीं कथनों से मिलता जुलता कथन एक पोलिश सन्त का भी है। उनकी एक पुस्तक जर्मन भाषा में “पैटर्न ऑफ प्रोफेसी” नाम से छपी है। उसमें सन् 1986 के आस-पास अस्थायी विश्व शान्ति का वर्णन है साथ ही यह भी कहा गया है कि एक भयंकर भूकम्प से योरोप का एक बड़ा भाग सन् 1996 में नष्ट होगा। सन् 2000 में महाविनाश का इस पुस्तक में संकेत है। यह नकारने का कोई कारण नहीं कि उपरोक्त कथन आने वाले समय में सत्य न निकलें।


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