सौर मण्डल कितना विस्तृत कितना सम्पन्न

August 1986

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

कोई जमाना था जब आकाश में एक ही चन्द्रमा चमकता था। समझा जाता था कि सौर मंडल के ग्रह सूर्य के बेटे हैं, और चन्द्रमा की गणना पोते के रूप में हो सकती है।

अब तक तीन बेटे बिछुड़े रहे। यूरेनस, नेपच्यून और प्लूटो के बारे में धरती वासियों को जो भी कुछ अता पता था वह यही कि उसके यह बिछुड़े भाई हैं, जो दूरी में रहने के कारण दीखते नहीं पर अब इन्हें देख और पहचान लिया गया है। साथ ही उनकी गतिविधियों और सम्पदाओं के सम्बन्ध में भी बहुत कुछ अता पता लगा लिया गया है।

अब प्रश्न पोतों का आता है अर्थात् चन्द्रमाओं का। अब तक एक को ही जाना गया, जबकि वे अब तक की जानकारी के अनुसार 60 हो चुके हैं। हो सकता है कि अगली नई जानकारियों में इनकी संख्या और भी बढ़ जाये।

ग्रह परिकर में बुध और शुक्र ये दो ही ऐसे हैं, जिनके कोई पोते नहीं हैं। वे बूढ़े भी हैं, और गरम मिज़ाज भी। इसलिए उन्हें अकेले-अकेले ही जिन्दगी काटनी पड़ रही है। शेष सभी के बच्चे हैं, पोते नाती यानी चन्द्रमा भी।

मंगल के दो चन्द्रमा हैं। इनमें से एक अपने ग्रह से मात्र 27 किलो मीटर और दूसरा 14 किलोमीटर है। अपने पिता की बहुत नजदीक से परिक्रमा करने में वे लगे रहते हैं।

मंगल और बृहस्पति के बीच में किसी ग्रह का चूरा घूमता है। इनमें से कुछ टुकड़े छोटे और कई तो कई-कई मील के हैं। अपने समय पर वे भी एक सीमा तक चमकते होंगे, तो उन्हें परपोते माना जा सकता है। इनकी जानने योग्य संख्या गिनी जाय तो लाखों में पहुँचेगी।

बृहस्पति के छोटे बड़े 12 चन्द्रमा हैं। इनमें से कई तो थोड़े फासले पर घूमते हैं और कई आगे पीछे भी निकल जाते हैं। एक साथ कितने ही चन्द्रमाओं का आकाश में चमकना बहुत सुन्दर लगता होगा। शनि के 19 चन्द्रमा हैं। इनमें से कई तो पृथ्वी के चन्द्रमा से भी बहुत बड़े हैं।

यूरेनस के 15 चन्द्रमा हैं। नेपच्यून के तीन और प्लूटो का एक चन्द्रमा ही दीख पड़ता है पर खोजी उपकरणों की स्थिति को देखते हुए उनके भी कुछ अधिक चन्द्रमा बढ़ सकते हैं।

शनि के इर्द-गिर्द एक समझी जाने वाली पट्टियां वस्तुतः तीन हैं। इनमें वाष्पीकृत पदार्थ कुहासे की तरह भरा हुआ है और ग्रह के साथ-साथ ही घूमता रहता है एस्ट्रोफिजीक्स की खोजों से पता चला है कि यूरेनस और नेपच्यून दोनों की स्थिति मिलती जुलती है। दोनों अमोनिया और मीथेन से घिरे हुए हैं। यह चमकदार बर्फ की तरह दृष्टिगोचर होते हैं। यदि उनकी चट्टानें काटी जायें तो उनकी कठोरता, चमक और पारदर्शक स्थिति ऐसी पायी जायेगी जिससे उस पदार्थ को हीरे के समतुल्य कहा जा सके।

इस क्षेत्र में पाये जाने वाले संभावित पदार्थ की गहरी जाँच इन्फ्रारेड फोटोग्राफी से विलियॅड हर्वर्ड ने की है और उस पदार्थ में पाये जाने वाले अणु दबाव को देखते हुए कहा है कि इसकी तुलना पृथ्वी पर पाये जाने वाले हीरे से भली प्रकार की जा सकती है।

पुरातन ज्ञान को ही पर्याप्त या सब कुछ मान बैठना अबुद्धिमत्ता पूर्ण है। प्रकृति के रहस्यों में से कभी हम बहुत थोड़ा ही जान पाये हैं। अभी इस शोध प्रसंग को चलते रहना चाहिए।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles






Warning: fopen(var/log/access.log): failed to open stream: Permission denied in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 113

Warning: fwrite() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 115

Warning: fclose() expects parameter 1 to be resource, boolean given in /opt/yajan-php/lib/11.0/php/io/file.php on line 118