एक कंजूस के पास बहुत धन था। उसने उसे जमीन में गाड़ रखा था। किसी प्रकार चोरों ने उसका पता लगा लिया और अवसर पाकर उसे खोद ले गये।
कंजूस ने यह देखा तो वह दहाड़ मारक रोने लगा। पड़ौसी भी कौतूहल वश इकट्ठे हो गये। कारण विदित होने पर छोटे लड़के ने कहा− ‘‘लालाजी, यह धन न आपके किसी काम आ रहा था और न किसी दूसरे के। निरर्थक पड़े रहने की अपेक्षा यदि वह चोर के काम आने लगा तो क्या हर्ज हुआ!” बच्चे की बात का हलका समर्थन खड़े हुए आम लोगों ने भी किया और एक बूढ़ा बोला− ‘‘धन तभी तक धन है जब वह किसी उद्योग उपयोग में लगा रहे अन्यथा उसमें और किसी कूड़े−करकट में क्या अन्तर?”