साहस और सूझबूझ के धनी

December 1985

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साहस और सूझ−बूझ के सहारे साधारण स्थिति में मनुष्य भी कई बार ऐसे महत्वपूर्ण कार्य कर दिखाते हैं जो उतावले और डरपोक प्रकृति के समर्थ एवं साधन सम्पन्न होने पर भी नहीं कर पाते।

सैन मैरिना के एक किसान का हल जोतने वाला खच्चर एक जंगली भालू ने मार दिया था। किसान ने उस रीछ को पकड़ लिया और खच्चर का काम करने के लिए उसे बाधित कर लिया था। उस बूढ़े साहसी किसान के साहस को देखने दूर−दूर के लोग आते थे।

जर्मनी के पहलवान मैक ससिस के शरीर का वजन 140 पौण्ड था पर उसने अपने शरीर से 40 पौण्ड अधिक भारी व्यक्ति को एक हाथ से 16 बार सिर तक की ऊँचाई तक उठाकर दिखाया।

आर्कोट के नवाब अनवरुद्दीन 1749 में 107 वर्ष के थे। तब भी वे अम्बौर की लड़ाई में हाथी पर चढ़कर लड़ने गये। लड़ाई में उनने जौहर तो बहुत दिखाये पर शत्रु की गोलियों के शिकार होकर मोर्चे पर ही ढेर हो गये।

अटलाँटिक सागर ह्वेल मछलियों के शिकारियों के लिए प्रसिद्ध है। उनके शिकार के लिए शिकारी जहाज अक्सर उधर जाते रहते हैं। ‘स्टार आव दि ईस्ट’ नाम एक जहाज शिकारियों के दस्ते के साथ उधर पहुँचा। एक बड़ी ह्वेल के साथ उनका मुकाबला हुआ। भाले फेंके गये। जो ह्वेल को लगे वह क्रुद्ध होकर जहाज पर टूट पड़ी और एक नाविक को उसने देखते देखते निगल लिया। नाविक तीस घण्टे उसके पेट में रहा किसी प्रकार उसने अपना चाकू कमर से निकाला और ह्वेल का पेट चीरकर बाहर निकला। अपने ढंग की यह अनोखी घटना थी।

रोम के एक शासक मैक्सी नियेनस ने एक दरबारी को मौत की सजा दी। और यह फैसला उसी पर छोड़ दिया कि मृत्यु दण्ड को किस तरह कार्यान्वित किया जाय। दरबारी कास्टेन्टाइन सम्राट का दामाद था। उसने भरे दरबार में सजा की स्वीकारोक्ति की व स्वेच्छा से प्राणघात की याचना की। उसने दोनों हाथों से गला घोटकर प्राण त्याग दिये।

न्यूजीलैण्ड के 85 वर्षीय एल्फ्रेड रीड ने एक 170 मील लम्बी यात्रा 10 वर्ष में अकेली पूरी की, उसमें उसे ऊँची पहाड़ियों को चढ़कर और नदियों को तैरकर पार करना पड़ा। खाने सोने का प्रबन्ध उसे परिस्थितियों के अनुरूप स्वयं ही करना पड़ता था।

माटामार−न्यूजीलैण्ड का 122 वर्षीय आदिवासी अपने कबीले की प्रथा के अनुसार सुनसान टापू में छोड़ दिया गया। 9 वर्ष तक वह वहाँ के पक्षी मारकर खाता रहा और अन्त में निढाल होकर मर गया।

आस्ट्रेलियाई एक सेना का जनरल एन्टल स्टारे 47 वर्ष तक सेना में रहा उसने 89 लड़ाइयाँ लड़ीं, 84 बार गम्भीर रूप से घायल हुआ। शानदार मौत उसने लड़ाई में ही पायी।

लान्स, फ्रान्स एक होटल में मेज पर चढ़कर आपस में लड़ रहे थे कि प्रबन्धक गरदेव रिहार्ड ने मेज समेत उन दोनों को उठा लिया और 20 फूट ले जाकर जमीन पर पटक दिया। इतना मजबूत, तगड़ा था यह प्रबन्धक।

मिस्र का सुलतान वैवार्स अपना पराक्रम शत्रुओं और निजी सैनिकों के सामने प्रकट करने के लिए 38 पौण्ड भारी लोहे का कवच पहनकर नील नदी तैर कर तार करता और वापस आता। यह क्रम उसने 17 वर्ष तक निरन्तर चलाया।

फैल्डर्स का काउण्ट वाडोइन का एक तगड़े भालू से वन बिहार के समय मुकाबला हो गया। काउंट ने हिम्मत नहीं हारी और भालू का गला घोट दिया।

फारसी दार्शनिक अब्दुल कासिम ने अपने जीवन में 30 बार मक्का यात्रा पैदल चलकर की। इसमें उसे 82000 मील पैदल चलना पड़ा। पहली यात्रा तो उसने घुटनों के बल चलकर पूरी की थी।

केनिया नेशनल पार्क का रेंजर एक दिन घोड़े पर सवार होकर अपने कार्य क्षेत्र को देखने जा रहा था कि एक बबर शेर ने उस पर आक्रमण करके नीचे पटक लिया। मौत सामने थी। रेंजर ने अपने छोटे चाकू से नीचे पड़े−पड़े ही शेर का पेट फाड़ डाला और अपनी जान बचाई।

काहिड काउन्टी के मोड़ सविन्शन का मुकाबला एक जंगली रीछ से अफ्रीका की धनी झाड़ियों के बीच हो गया। निहत्थे होने पर भी उनने हिम्मत नहीं हारी और कुश्ती लड़ते रहे। कई घाव सहने के उपरान्त भी उनने रीछ को गला घोंटकर मार डाला।

कभी−कभी सूझ−सूझ के सहारे ऐसे काम हो जाते हैं कि दंग यह जाना पड़ता है। न्यू गायना में एक बड़ा दलदल हवाई पट्टी के पास था। उससे जहाजों को खतरा रहता। इस कठिनाई को दूर करने के लिए वहां के आदिवासियों का एक उत्सव कराया गया। 24 घंटे नाच चला। इतने से ही वह भूमि इतनी कड़ी हो गयी मानी रोलर से दबाकर सही की गई हो।

बाइनजेटाइन के सम्राट कास्टेस्टाइन ने बलगेरि डडडड पर 80 हजार सैनिकों से हमला बोला। हमला इतना आकस्मिक हुआ कि बलगेरिया के सैनिक शस्त्र तक न सम्भाल सके और भाग खड़े हुए। जीत अनोखी डडडड उसमें आक्रामक सेना का एक भी सैनिक न मरा न घायल हुआ।

ऐसी घटनाओं में बलिष्ठता और साधन जितना काम देते हैं उसकी तुलना में साहस और सूझ−बूझ का महत्व अधिक सिद्ध होता है।


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