जब तक अपने को उठाने और सुधारने को तुम स्वयं तैयार नहीं होते तब तक कोई दूसरा तुम्हें उठा या सुधार नहीं सकता।
क्रोधान्ध एक प्रकार का पागल है। वह न कहने योग्य वचन बोलता है और न करने योग्य काम करता है। बदला लेने के आवेश में वह दूसरों का जितना अहित करता है, उससे अधिक गुना अपना कर लेता है।