वहम की बीमारी और उसका इलाज

October 1984

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प्रख्यात शारीरिक मानसिक रोगों के अतिरिक्त एक विचित्र रोग है ‘वहम’। ऐसे वहमी आदमियों को अंग्रेजी में न्यूरोटिक कहते हैं।

इस सनक के रोगियों को न कोई शारीरिक रोग होता है न मानसिक। शरीर और मस्तिष्क की जाँच पड़ताल करके चिकित्सक हाथ हिलाते हुए इतना ही कहते हैं आपके किसी अंग में कोई रोग नहीं है। किसी बीमारी के लक्षण आप में दिखाई नहीं पड़ते। फिर भी रोगी यही कहता जाता है कि मैं भारी कष्ट से पीड़ित हूँ। डाक्टर की बात पर उसे तनिक भी विश्वास नहीं होता उसे कोई रोग नहीं है।

कभी ज्वर, कभी शिर दर्द, कभी दिल की धड़कन, कभी दम फूलना, कभी घुटन का उन्हें अनुभव होता है। एक से दूसरे डाक्टर पर दौड़ता है। हर जगह एक ही उत्तर मिलता है कि आपके शरीर या मस्तिष्क में कोई विकार मालूम नहीं पड़ता, महज वहम आपको परेशान कर रहा है। दवा के नाम पर वे कहते हैं “वहम की दवा तो लुकमान के पास भी नहीं है आप अपने मन को समझा लें तो ही यह शिकायत दूर हो सकती है।” पर मन तो मन जो ठहरा वह मानता किसकी है। मन को मनाने वाला तो कोई सिद्ध योगी ही हो सकता है।

वहम किसी घटना के साथ जुड़ा होता है। श्मशान या कब्रिस्तान के समीप से निकलते हुए भूत की सम्भावना नजर आती है और लगता है कि वे लोग यहाँ मौजूद हैं और अब तब डराने या हमला करने ही वाले हैं। मन मजबूत हो तो ऐसा कुछ वहाँ नहीं दीखता। किसानों के खेत श्मशान या मरघट के आस-पास होते हैं। रात को हल जोतते रहते हैं। अकेले होते हैं। रात के अन्धेरे में उल्लू बोलते और सियार दौड़ते रहते हैं पर भूत का भय कभी पास भी नहीं फटकता।

अक्सर न्यूरोटिक व्यक्ति किसी घटना के साथ किसी मुसीबत की संगति जोड़ लेना है। धूल भरी आँधी चलने पर उसे लगता है कि आँधी के रेत में दम घुट जायेगा। बादल उमड़ने और गरजने की घटना को देख कर भय लगता है कि बादल ऊपर गिरे और उसके नीचे दबकर मरे। ऐसी घबराहट का एक ही इलाज है कि बन्द कमरे में बैठा जाये और आँधी या बादल को देखना बन्द कर लिया जाय। आँखें बन्द कर लेने पर भी कुछ राहत मिलती है।

एयर कण्डीशन्ड गाड़ी के डिब्बे में बैठने से लगता है कि हवा बन्द हो गई और दम घुटने लगा। ऐसे व्यक्ति हवाई जहाज का सफर नहीं कर सकते। खिड़कियाँ बन्द देखकर लगता है कि साँस लेने का रास्ता बन्द हुआ। ऐसे व्यक्ति रेलगाड़ी में बैठने पर बाहर नजर दौड़ाते ही पेड़, खेत दौड़ते देखते हैं। साथ ही लगता है कि सर घूमने लगा और उल्टी होने वाली है। कभी-कभी तो उलटी हो भी जाती है। पिपरमिंट की गोलियाँ भी काम नहीं देती। इलाज एक ही है कि आंखें बन्द कर ली जायं और पेड़ों के दौड़ने का दृश्य अनदेखा कर दिया जाये।

किन्हीं-किन्हीं को दिल का दौरा पड़ने या पेट का दर्द उठने जैसे तेज अनुभव होते हैं। डाक्टर की जाँच पड़ताल या दवा-दारू कुछ काम नहीं आती, हाँ, जादूगरों की भभूत कभी-कभी वहम की चिकित्सा का काम दे जाती है। बीमारी भूत के दौरे के कारण आरम्भ हुई थी और जादू मन्त्र चला देने से वह दूर हो गई।

अपने देश के पिछड़े इलाकों में अन्धविश्वास बहुत है। साथ ही वहम की बीमारी भी बहुतों में पायी जाती है पाई जाती है। यह छूत के रोग की तरह एक से दूसरे को लगती है। जिस प्रकार आँख दुखती देखकर दूसरे देखने वाले की भी आँख दुखने लगती हैं। एक को उल्टी करते देखकर दूसरे को भी उल्टी आने लगती है। उसी प्रकार वहम की बीमारी भी एक से दूसरे को लगती है और भूत प्रेत के रूप में कइयों की जान का बवाल बन जाती है।

इसका इलाज एक ही है कि वहमग्रस्त व्यक्ति को वहम की व्यथा का वास्तविक स्वरूप समझाया जाय और उसे छोड़ने के लिए समझा-बुझाकर सहमत किया जाय।


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