Quotation

October 1984

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आइन्स्टीन के सूत्रों का विषद विवेचन करने वाले बायोफिजीसिस्टों का मत है कि जो हमें दिखाई नहीं पड़ता, वह परोक्ष जगत कितना विराट है उसकी कल्पना उस आयाम में पहुँचकर, दिग्काल के परे जाकर बोध होने पर ही की जा सकती है। सारा जगत कम्पन तरंगों का समुच्चय है एवं विचार तरंगें उन्हीं का अंग है। उनकी गति प्रकाश की गति से भी कहीं अधिक तीव्र है, इसी कारण मानवी कल्पना शक्ति अद्भुत एवं अगणनीय है।


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