एक अद्भुत व्यक्तित्व- हस्तरेखा विशेषज्ञ- “कीरो”

October 1984

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प्रख्यात साहित्यकार ऑस्कर वाइल्ड की हस्तरेखाएं प्रो. कीरो ने देखीं और ऐसी भविष्यवाणी की जिसकी न तो कोई सम्भावना थी और न उन दिनों की परिस्थिति को देखते हुए वैसे कोई लक्षण दिखाई पड़ते थे।

कीरो ने कहा- पाँच वर्ष के भीतर आपकी ख्याति धूलि में मिल जायगी। देश छोड़ना पड़ेगा और जेल काटनी पड़ेगी। इसी दिन वाइल्ड ने कीरो का बहुत मजाक उड़ाया और बहुत बुरा-भला कहा। पर भवितव्यता होकर रही। दुराचरण के एक मुकदमें में वे फँस गये और दो वर्ष के लिए जेल जाना पड़ा।

अन्धविश्वास और अविश्वास की धूलि में दबे हुए हस्तरेखा विज्ञान को कीरो ने नव जीवन प्रदान किया। उन्होंने रहस्यवादी विज्ञान पर 18 पुस्तकें लिखी हैं। उनका संसार भर की भाषाओं में अनुवाद और प्रचार हुआ है। मात्र पुस्तकें ही उन्होंने नहीं लिखीं। स्वयं कितने ही मूर्धन्यों की हस्तरेखाएँ देखीं और ऐसी भविष्यवाणियाँ की जिसकी उस समय कोई सम्भावना नहीं थी किन्तु समय की कसौटी पर वे खरी निकलीं।

हस्तरेखा का यह महा विशेषज्ञ युवक इंग्लैण्ड से चलकर भारत आया और लगभग सात वर्ष ज्योतिष तथा रहस्यवाद के विशेषज्ञों के पास रहकर गूढ़ विद्याओं की शिक्षा प्राप्त करता रहा।

इंग्लैण्ड की पुलिस उन दिनों एक हत्यारे का पता जोरों से लगा रही थी। पुलिस के पास और तो कोई निशान न था। हाथ के चिन्ह भर थे। कीरो ने उन हाथ के चिन्हों को देखकर हत्यारे का पूरा हुलिया बता दिया। वह पकड़ा गया। मुकदमा चला और उसे जेल हुई। इस घटना के बाद कीरो की ख्याति दूर-दूर तक फैल गई।

इसके बाद कीरो न्यूयार्क पहुँचे। यहाँ फिफल एवेन्यू स्ट्रीट के एक शानदार होटल में ठहरे। ख्याति के अनुसार अनेकों व्यक्ति आये और हस्तरेखाओं के आधार पर किये गये भविष्य कथनों के आधार पर सन्तुष्ट हुए।

‘न्यूयार्क वर्ल्ड’ के सम्पादक और संवाददाता कीरो के पास पहुँचे और ऐसे अजनबी हस्तरेखा चित्र लाये, जिनके बारे में कीरो को कुछ भी मालूम नहीं था। शर्त लगी कि यदि वे सही विवरण बता देंगे तो तीन दिन तक पूरे पेज के विज्ञापन छाप कर उन्हें प्रख्यात कर देंगे और न बता सके तो फरेब का मुकदमा चलवाकर उन्हें न्यूयार्क छोड़ने को विवश कर देंगे। विवरण सही बताये गये। फलतः शर्त के अनुसार तीन दिन तक पूरे पेज के विज्ञापन छपे और न्यूयार्क में इनकी ख्याति जमीन से आसमान तक पहुँच गई।

प्राचीन काल में अनेकों ऐसे विज्ञान थे जो अब लुप्त प्रायः हो गये। उनका सही स्वरूप खोजने के स्थान पर अधूरे लोग उस विद्या का अधकचरा रूप ले भागते हैं। फलतः उसमें ठगी पाखण्ड का रूप घुस पड़ता है। आज ऐसा ही चल रहा है। हस्तरेखा विज्ञान, ज्योतिर्विज्ञान के सम्बन्ध में यही हुआ है।

जिस प्रकार डाक्टरी, इंजीनियरिंग जैसे महत्वपूर्ण विषयों का अध्ययन किया जाता है उसी प्रकार इस विषय का भी मन्थन किया जाए तो अपने देश में भी अनेकों कीरो उत्पन्न हो सकते हैं।

एक बार एक महिला के लाये हुए चित्र की बात कीरो ने बतायी। वह एक हत्यारे डाक्टर का हस्तचित्र है यह जल्दी ही पकड़ा जायेगा और जेल में ही सड़ कर मरेगा। बात सही निकली। बीमा कम्पनियों को धोखा देकर मरीज मारने के अपराध में वह कुछ ही दिन में पकड़ा गया और जेल में पागल होकर मरा।

कीरो हस्तरेखा के साथ यक्षिणी सिद्धि का भी दावा करते थे। जब तक वे जिये उनकी ख्याति चरम सीमा तक रही। उनकी पुस्तकों से भी अनेकों ने इस विद्या के रहस्य जाने और प्रवीण बने।


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