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September 1970

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प्रतिज्ञाहीन जीवन बिना नींव का घर है, या यों कहिये कि कागज का जहाज है। प्रतिज्ञा न लेने का अर्थ है- अनिश्चित या डांवाडोल रहना।

-महात्मा गाँधी




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