स्वाभिमानी बालक

September 1970

Read Scan Version
<<   |   <   | |   >   |   >>

एक फ्राँसीसी पर्यटक जापान का भ्रमण कर रहा था। एक दिन उसकी भेंट सड़क पर बैठकर जूता गाँठने वाले एक बच्चे से हो गई। बच्चा उस छोटे से काम को बड़ी मुस्तैदी से कर रहा था- यह देखकर उस फ्राँसीसी को बड़ी दया आई। उसने अपना चमड़े का बैग ठीक कराया और बदले में एक रुपये का सिक्का दिया।

बालक रोजगारी निकालकर वापस करने वाले पैसे गिनने लगा, तो बड़ी उदारता दिखाते हुए फ्राँसीसी महोदय ने कहा- बच्चे! पैसे वापस करने की आवश्यकता नहीं, मैंने तुम्हें पूरा रुपया दिया है।’

‘किन्तु, श्रीमान् जी! मुझे रुपया नहीं, जितना काम किया है उतने पैसे चाहिए।’ कह कर बच्चे ने शेष पैसे वापस कर दिये और फ्राँसीसी के लाख कहने पर भी 10 पैसे से अधिक एक पैसा भी नहीं लिया।


<<   |   <   | |   >   |   >>

Write Your Comments Here:


Page Titles