रब्बी हलाफता

September 1970

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“ज्ञान, विवेक, वैराग्य, शक्ति और भक्ति परमात्मा सत्पात्र को देता है- अज्ञ और अन्धकार में डूबे हुओं को नहीं” रब्बी जोसे बेन के इतना कहने पर एक महिला बड़ी नाराज हुई और बोली- ‘तो इसमें भगवान की क्या विशेषता रही- होना तो यह चाहिए था कि वह असभ्य व्यक्तियों को यह सब देता, उससे संसार में अच्छाई का विकास तो होता।’

रब्बी हलाफता उस समय मौन हो गये और बात जहाँ थी, वहीं समाप्त कर दी।

बड़े सवेरे उन्होंने मुहल्ले के एक मूर्ख व्यक्ति को बुलाकर कहा कि अमुक स्त्री से जा कर आभूषण माँग लाओ। मूर्ख वहाँ गया और आभूषण माँगे, तो उसने न केवल अपने आभूषण देने से इन्कार कर दिया वरन् उसे झिड़क कर वहाँ से भगा भी दिया।

थोड़ी देर पीछे रब्बी जोसे स्वयं महिला के घर उपस्थित हुए और बोले- ‘आप एक दिन के लिये अपने आभूषण दे दें, आवश्यक काम करके लौटा देंगे।’ महिला ने संदूक खोली और खुशी-खुशी उतने मूल्यवान आभूषण जोसे बेन को सौंप दिये।

आभूषण हाथ में लिये बेन ने पूछा अभी- ‘अभी एक दूसरा व्यक्ति आया था, आपने उसे आभूषण क्यों नहीं दिये थे?’

महिला अपने प्रश्न का संतोषजनक उत्तर पाकर बड़ी प्रसन्न हुई।


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