लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक

September 1970

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एक बालक बहुत ही जिद्दी स्वभाव का था। वह प्रायः घर से बाहर जाने को मचल उठता और जब तक उसे बाहर नहीं ले जाया जाता तब तक उसे चैन न आता! यह तुतला कर बोलने वाला बालक घर के अन्य बालकों की पुस्तकें छीन लेता। कागज फाड़ डालता और चीजें बखेरता तथा नष्ट कर देता!

पर यही हठी बालक अत्यन्त नम्र स्वभाव का बन गया। तुतला कर बोलना-धारा प्रवाह भाषण देने में बदल गया। यह मधुर भाषी कुशल वक्ता अब दूसरों को परेशान करने के बजाय मित्रों का परम सहायक बन गया। उसके अभिभावकों और गुरुजनों ने बाल मनोवृत्ति को समझने और सुधारने का प्रयत्न किया तो बालक का मानसिक कायाकल्प ही हो गया। स्वार्थपूर्ण भावनायें-उत्कृष्ट देश भक्ति में बदल गईं। इस बालक का पूरा नाम था लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक!


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