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September 1970

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माँस खाने में कोई आपत्ति नहीं, पर ऐसा करते हुए मनुष्य को यह भी स्वीकार करना पड़ेगा कि सृष्टि में मानवीय सभ्यता नाम की कोई वस्तु शेष नहीं। माँस मानवता को त्याग कर ही खाया जा सकता है।

-स्पेन्सर


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