केवल विस्तार ही पर्याप्त नहीं

September 1970

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पास के कुएं को देखकर तालाब को अपने विस्तार पर बड़ा गर्व हो गया। एक दिन डींग मारते हुए बोला- ‘इस जैसे एक-दो नहीं, बीसियों कुएं मुझमें समाकर अपना अस्तित्व खो सकते हैं।’

“भाई! केवल विस्तार ही पर्याप्त नहीं होता, उसमें गहराई भी तो होनी चाहिये।” कुएँ ने संक्षिप्त में अपना उत्तर दे दिया।

लज्जित तालाब को मुँह छिपाने की जगह न रही।


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