सन् 2000 और उसके पूर्व के 30 वर्ष

September 1970

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रात्रि का प्रथम प्रहर- जब मैं प्रगाढ़ निद्रा में होता हूँ स्वप्न में एक दिव्य पुरुष के दर्शन करता हूँ। किसी जलाशय के निकट बैठे हुये योगी के मस्तक में जहाँ दोनों भौंहें मिलती हैं मुझे अर्द्ध चन्द्र के दर्शन होते हैं। उसके बाल श्वेत, शुभ वेष-भूषा, वर्ण गौर तथा पैरों में चर्म-विहीन पाहन या पादुकायें होती हैं। उसके आस-पास अनेक सन्त सज्जन व्यक्तियों की भीड़ दिखाई देती है। उनके मध्य, मैं जलती हुई छोटी-बड़ी ज्वालायें देखता हूँ यह लोग कुछ बोलते हुये अग्नि में कुछ वस्तुयें छोड़ते हैं। उसके धुयें से आकाश छा रहा है। सारी दुनिया के लोग उधर ही दौड़े आ रहे हैं। उनमें से कितने ही कष्ट-पीड़ित, अपंग और अभावग्रस्त भी होते हैं वह दिव्य देहधारी पुरुष उन सबका उपदेश कर रहा है। उससे सबके मन में प्रसन्नता भर रही है लोगों के कष्ट दूर हो रहे हैं। लोग आपस के राग-द्वेष भूलकर परस्पर मिल-जुल रहे है। स्वर्गीय सुख की वृष्टि हो रही है। धीरे-धीरे यह प्रकाश उत्तर की ओर बढ़ रहा है और किसी पर्वत के ऊपर दिव्य सूर्य की तरह चमकने लगता है। वहाँ से प्रकाश की किरणें वर्षा के जल की भाँति उठतीं और सारे पृथ्वी मंडल को आच्छादित कर लेती हैं। बस यहीं आकर स्वप्न का अन्त हो जाता है।”

यह शब्द विश्व-विख्यात् भविष्यवक्ता प्रो. हरार के हैं जो उन्होंने “नव-युग आयेगा” सम्बन्धी एक विचार गोष्ठी में कहे थे और उसका विस्तृत ब्योरा “वेस्ट मिरर” पत्रिका में छापा गया था। प्रो. हरार का जन्म इसराइल के एक धर्म निष्ठ यहूदी परिवार में हुआ था। अपनी अचूक और शत प्रतिशत सत्य भविष्य वाणियों के लिये योरोप और उत्तरी अफ्रीका में उसी प्रकार विख्यात हुये हैं जिस तरह एण्डरसन और जीन डिक्सन अमरीका में प्रो. कीरो इंग्लैंड और आचार्य वाराह मिहिर भारतवर्ष में। एक बार अरब के शाह मुहम्मद किसी यात्रा पर जाने वाले थे। उसकी घोषणा काफी समय पहले कर दी गई थी किन्तु प्रो. हरार ने घोषित कर दिया कि उनकी यह यात्रा हो ही नहीं सकती। इस कथन पर तब तक लोगों को विश्वास नहीं हुआ जब तक यात्रा के ठीक एक दिन पूर्व शाह मुहम्मद घोड़े से गिर नहीं गये उनके पैर में गम्भीर चोटें आईं चल फिर सकने में असमर्थ हो जाने के कारण यात्रा रद्द कर देनी पड़ी। ठीक एक माह बाद पुनः यात्रा का कार्यक्रम बनाया गया। प्रो. हरार ने फिर घोषणा की कि इस बार भी शाह मुहम्मद की यात्रा नहीं हो पायेगी। संयोग से उस दिन भूकम्प आ गया और उसके फलस्वरूप मार्ग क्षतिग्रस्त हो गया, वह यात्रा भी स्थगित कर 1 वर्ष पीछे पुनः यात्रा के सरंजाम जुटाये गये। इस बार भी पहले की तरह ही प्रो. हरार ने भविष्यवाणी की कि यात्रा अधूरी ही रहेगी। शाह मुहम्मद ने यात्रा प्रारम्भ तो कर दी पर अभी उनका काफिला कुछ ही दूर गया था कि गुप्तचरों ने आकर बताया कि पड़ोसी देश में आक्रमण की तैयारी हो रही है। यह समाचार पाते ही शाह ने कूच का मुँह पीछे की ओर मोड़ दिया। यात्रा अधूरी रद्द कर दी गई। इन भविष्य कथनों की सत्यता से शाह मोहम्मद बहुत प्रभावित हुये। उन्होंने प्रोफेसर हरार को बुलाकर उनका बड़ा सम्मान किया और अपने प्रधान माँगलिक सलाहकार के रूप में नियुक्त कर लिया।

लोगों के प्रश्न करने पर प्रो. हरार ने अपने उक्त स्वप्न के संदर्भ में बताया कि मैं जो स्वप्न प्रातःकाल देखता हूँ वह अधिकाँश कुछ ही दिनों में सत्य होने वाले होते हैं। रात्रि के मध्य में देखे गये स्वप्नों में मुझे 1 वर्ष के अन्दर घटित होने वाली घटनाओं का आभास होता है पर जो स्वप्न मुझे प्रथम प्रहर में दिखाई देते हैं वह कुछ वर्षों में पूर्ण होने वाले होते है उक्त स्वप्न के सम्बन्ध में मेरे मस्तिष्क में जो विचार आते हैं वह यह कि- “ऐसे किसी दिव्य पुरुष का जन्म भारतवर्ष में हुआ है वह 1970 तक आध्यात्मिक क्रान्ति की जड़ें बिना किसी लोक-यश के भीतर ही भीतर जमाता रहेगा पर उसके बाद उसका प्रभुत्व सारे एशिया और विश्व में छा जायेगा उसके विचार इतने मानवतावादी और दूरदर्शी होंगे कि सारा विश्व उसके कथन सुनने और मानने को बाध्य होगा। जबकि विज्ञान सारे विश्व में से धर्म और संस्कृति को नष्ट करके चौपट कर देगा तब वह धार्मिक क्रान्ति का सूत्रपात करेगा और लोग ईसा के जन्म से पूर्व की तरह अग्नि, जल, वायु, आकाश, सूर्य और अन्य नैसर्गिक तत्वों की उपासना के महत्व को समझने लगेंगे।”

उनकी यह भविष्यशाली जीन डिक्सन, टेनीसन और एण्डरसन के भविष्य कथनों से मेल खाती हुई भी कहीं अधिक स्पष्ट है। उन्होंने गाँधी जी की हत्या की घोषणा 1 सप्ताह पूर्व कर दी थी। सुकर्ण का सितारा बुलन्दी पर था तब उन्होंने कहा था- आज लोग धब्बे को नहीं देखते पर कुछ ही दिन पीछे देखेंगे कि सुकर्ण की कैसी दुर्गति होती है। सचमुच 1 वर्ष पीछे ही सुकर्ण अपदस्थ कर दिये गये। अरब और इजराइल युद्ध की घोषणा उन्होंने काफी समय पूर्व कर दी थी। उनका कहना था- प्रारम्भ की टक्कर बहुत जोरदार होगी। शनि की कोप दृष्टि होने के कारण अरबों का बहुत सा भाग छिन जायेगा, फिर जोर्डन, सीरिया, मिश्र आदि मिलकर भी उसे वापस नहीं ले सकेंगे। पहली टक्कर में इजराइल की जोरदार जीत होगी फिर छिटपुट युद्ध चलता रहेगा सन् 1979 में दोनों में एक बार फिर जोरदार टक्कर होगी। इस युद्ध में धर्म के नाम पर अरब शेष विश्व के अधिकाँश इस्लामी देशों को संगठित कर लेगा, पहले तो रूस अरबों के साथ रहेगा पर धीरे-धीरे वह चुप पड़ जायेगा और इजरायल अमेरिका, कनाडा, ब्रिटेन आदि की मदद से अरबों पर बुरी तरह टूट पड़ेगा। इस युद्ध में मुसलमानों की जन शक्ति घट कर संसार की सभी जातियों से कम हो जायेगी। इजरायल को युद्ध के साथ साथ प्रकृति भी सहयोग करेगी अर्थात् तुर्की, सीरिया, लेबनान आदि देशों में भूकम्प, ज्वालामुखी तेल के कुँओं में विस्फोट आदि होंगे। वहाँ के लोगों में पारस्परिक दुर्भावनायें इस सीमा तक बढ़ेंगी कि कोई एक दूसरे को साथ तक नहीं देगा और इस तरह इस्लाम संस्कृति का लगभग पूरी तरह अन्त हो जायेगा।

सन् 1970 से 2000 तक संसार में तीव्र राजनैतिक परिवर्तन होंगे। ब्रिटेन, श्रीलंका, रूस, फ्रान्स और भारतवर्ष में अप्रत्याशित रूप से सरकारें बदलेंगी॥ इजराइल और अरब देशों के समानान्तर अक्षाँश पर होने के कारण भारतवर्ष की स्थिति भी ठीक वैसी ही होगी। यहाँ भी युद्ध होंगे। मित्र जैसे दिखाई देने वाले पड़ौसी देश या तो आक्रमण करेंगे या आक्रमण के समय मौन रहेंगे। अधिकाँश प्रतिपक्ष का समर्थन करेंगे। प्रजातन्त्र होते हुए भी अधिकाँश राज्यों में राष्ट्रपति का शासन रहेगा सन् 1972 के पीछे नेतृत्व उन लोगों के हाथ में होगा जिनकी उससे पहले तक लोगों ने कल्पना भी न की होगी। यह लोग वीर होने के साथ-साथ धर्म निष्ठ भी होंगे। इस बीच देश आर्थिक औद्योगिक और वैज्ञानिक दृष्टि से अपने आपको समृद्ध और शीर्षस्थ सिद्ध करेगा।

प्रो. हरार की उपरोक्त भविष्य वाणियों में अब तक अधिकाँश सत्य सिद्ध हो चुकी हैं अब जो परिस्थितियाँ दिखाई दे रही हैं उनसे साबित होता है कि आने वाले दिनों के लिये की गई भविष्यवाणियाँ भी अक्षरशः सत्य सिद्ध हों तो कुछ आश्चर्य नहीं।


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