समुद्र में जोर का तूफान आया, नाव डगमगाने लगी। पाल को मजबूती से बाँधने के लिये मल्लाह का लड़का ऊपर चढ़ गया। पाल बाँधकर नीचे उतरने के लिये जैसे ही पैर बढ़ाया कि उसके मुँह से चीख निकल पड़ी। नीचे गरजते, उफनते समुद्र को देखो, तो मुँह से आवाज न निकली और नीचे उतरने की भी हिम्मत न पड़ी।
मल्लाह ने चिल्लाकर कहा− “ऊपर आसमान की ओर देख और नीचे उतर आ।” बालक ने वैसा ही किया, वह नीचे उतर आया। अनुभवी मल्लाह ने समझाते हुए कहा− "जो डरता है, वही मरता है। संकट के समय तो धैर्य से ही काम चलता है।”