अधिक से अधिक लाभ

June 1970

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"उदास क्यों हो बहन?" –अकेली बैठी मधुमक्खी को देखकर चींटी ने पूछा। इस पर मधुमक्खी बोली– "क्या बताऊँ बहन ! कितने परिश्रम से मधु एकत्रित किया था, यह अभागा मनुष्य आया और उसे थोड़ी देर में तोड़ ले गया।

अनाज का कण आगे धकेलती हुई चींटी बोली– "बहन ! अब चिन्ता करने से क्या लाभ? अब तक तो तुम बहुत-सा मधु पुनः एकत्र कर लेती।"



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