रजत जयन्ती

January 1964

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—रजत जयन्ती के हर्षोत्सव को युग-निर्माण प्रेरणा का पुण्य पर्व मानकर भावना एवं श्रद्धापूर्वक मनाने वाले अपने परिजनों के प्रति “अखण्ड ज्योति” अपना आन्तरिक आभार प्रकट करती है।

—साथ ही यह भी आशा करती है कि इस महान् अभियान को सार्थक बनाने के लिए प्रत्येक परिजन बसन्त पंचमी के दिन से कुछ नियमित समय—दान आरम्भ करे।

—लक्ष्य की पूर्ति के लिए परिवार का विस्तार नितान्त आवश्यक है। अतएव नये सदस्य बनाने के लिए हम में से हर एक को शक्तिभर प्रयत्न करना चाहिए।

ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्

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वर्ष 25 सम्पादक - श्रीराम शर्मा आचार्य अंक 1

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