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July 1952

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-जो शीलवान है, विद्वान है, जो धर्म स्थिति हैं, जो सत्यवादी हैं, जो अपने कामों को करने वाले हैं, ऐसे आदमियों को लोग प्यार करते हैं।

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-क्रोध को अक्रोध से, बुराई को भलाई से, कंजूस पन को दान से और झूठ को सत्य से जीतो।

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—सत्य बोलो। क्रोध न करो। माँगने पर थोड़ा भी दो इन तीनों बातों के करने से आदमी देवताओं के समीप पहुंचता है।

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—काया की चंचलता से बचो। काया का संयम रखो। शारीरिक दुश्चरित्रों को छोड़कर शरीर से सदाचरण करो।

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-बहुत बोलने से कोई पंडित नहीं होता, जो ज्ञानवान, अवैर और निर्भय है वही पंडित कहलाता है।


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