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Akhand Jyoti
Year 1987
Version 2
समर्थ का...
समर्थ का आश्रय ले
October 1987
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Page Titles
समर्थ का आश्रय ले
सम्पदा और उसका अनर्थकारी प्रलोभन
Quotation
निष्काम कर्मयोग एक दार्शनिक विश्लेषण
सेवा का आवेदन (Kahani)
सुसन्तति का वरदान
Quotation
आस्तिकता मानव जीवन की आधार शिला
Quotation
मौन साधना की सिद्धि
Quotation
अस्तेय अर्थात् अर्थ की पवित्रता
Quotation
आहार शुद्धि साधना का प्रथम चरण
कुकर्म चिंतन से छुड़ा देने की प्रार्थना (Kahani)
उपदेशक का स्तर
उपदेश और पूजा,चरित्र और चिन्तन (Kahani)
त्वचा में निहित दिव्य शक्ति सामर्थ्य
बड़प्पन सिद्ध करने के लिए नीचा दिखाने की आवश्यकता नहीं (Kahani)
धर्म धारणा-प्रगति का एक सनातन राजमार्ग
Quotation
सरलतम और समग्र शक्तिवान “ॐ कार”
लोमड़ी (Kahani)
आनन्द कहाँ? अपनी ही मुट्ठी में
तन्मेमनः शिवंसकल्पमस्तु
Quotation
जागृति, स्वप्न, सुषुप्ति और तुर्या
सिद्ध क्षेत्र हिमालय
ज्ञान की अनन्तता (Kahani)
अद्भुत, विलक्षण-हिमालय की यह पद यात्रा
मनुष्य जन्म सोद्देश्य है!
स्वर्ग की प्राप्ति और बंधन मुक्ति
अविज्ञात रहस्यों से भरी मानवी चेताना
ईमानदारी श्रम और उसका सही सदुपयोग (Kahani)
वृक्षों में संव्याप्त विद्युत चुम्बकत्व
दिव्य प्राण ऊर्जा के भाण्डागार षट्चक्र
आग पर चलने का जादुई कौशल
परोक्ष जगत से उतरते “दैवी संदेश”
Quotation
मानवी काया में छिपा दानव
सफलता किनके कदम चूमती है?
अशरीरी आत्माएँ एवं उनके क्रिया कलाप
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सिंहासन बतीसी
Quotation
गायत्री के शक्तिशाली बीजाक्षर
कठोर नही उदार बनो (Kahani)
वयं राष्ट्रे जागृयामः पुरोहिताः
अन्धविश्वास और अहंकार (Kahani)
धर्मतंत्र-अपनी क्षमता प्रत्यक्ष कर दिखाये
भूल-भुलैयों वाले बड़े महल (Kahani)
यह नन्हे माटी के दीपक ही जगती की आशाओं मनु संतानोंइन संकल्प स्वरों की गरिमा को पहचानो
अपनों से अपनी बात - इस वर्ष की आध्यात्मिक साधना
प्रभु-प्राप्ति (Kavita)
ॐ भू र्भुवः स्वः
तत्
स
वि
तु (र्)
व
रे
णि
यं
भ
र्गो
दे
व
स्य
धी
म
हि
धि
यो
यो
नः
प्र
चो
द
या
त्
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