अपना बड़प्पन सिद्ध करने के लिए लोग दूसरों को गिराने का प्रयत्न करते हैं, पर वे इसमें प्रायः सफल नहीं होते, उलटे अपने को ही बदनाम कर लेते हैं। उपाय दूसरा है, जिसकी सिखावन देते हुए एक अध्यापक ने छात्रों को समझाया।
श्याम पट पर अध्यापक ने एक लकीर खींच दी और छात्रों से पूछा इसे बिना मिटाये छोटी करके दिखाओ।
वैसा कोई भी न कर सका। सभी चुप बैठे थे। अध्यापक ने उस लकीर के समीप ही एक बड़ी लकीर खींच दी और कहा अब यह छोटी हो गई न? लड़कों ने स्वीकृति सूचक सिर हिलाया।
अध्यापक ने कहा- अपना बड़प्पन सिद्ध करने के लिए किसी को गिराने या नीचा दिखाने की आवश्यकता नहीं। अन्यों की तलना में अधिक ऊँचा पुरुषार्थ किया जाय तो सहज ही बड़प्पन हाथ लगेगा और किसी को छोटा सिद्ध करने की आवश्यकता न पड़ेगी।