संत शिवली को खलीफा ने कीमती कपड़े उपहार में दिए। साथ में नौकर भेजा जो सामान को घर तक पहुंचा आए।
नौकर ने बेशकीमती कपड़े गंदे कर दिए। फलतः वे फेंकने पड़े। खलीफा को नौकर की इस हरकत का पता चला तो उसे नौकरी से बरखास्त कर दिया।
जब इस प्रसंग की चर्चा सत्संग में हुई तो संत ने कहा-” ईश्वर हम सबको कीमती कपड़ों जैसा शरीर और साधन संपदा देता है। अगर हम उस बहुमूल्य संपदा को यों ही मूर्खतावश गवाँ दे तो फिर बदनामी और बर्खास्तगी के सिवाय और क्या मिलेगा?