अपनों से अपनी बात−2 - संकल्पों को पकाएँ, सक्रियता की दौड़ में आगे आएँ

January 2003

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यह संकल्पों को पकाने का वर्ष है। सभी जानते हैं कि यह संगठन सशक्तीकरण का, उत्तरार्द्ध का दूसरा वर्ष है, जो आगामी वसंत से आरंभ होकर 2004 के वसंत तक चलेगा। साथ ही जून, 2002 से आरंभ हो गए गायत्री तपोभूमि के स्वर्णजयंती वर्ष का छहमासीय उत्तरार्द्ध भी इस माह से आरंभ हो गया। हम सभी ने गायत्री तपोभूमि की पावन रज में यमुनातट पर शरदपूर्णिमा (20, 21, 22 अक्टूबर, 02) की तारीखों में कुछ पावन संकल्प लिए थे। उन्हें याद कर गुरुसत्ता के चरणों में कुछ उपलब्धियाँ पुष्परूप में अर्पित करने की यही वेला है। छह फरवरी, 2003 को वसंतपर्व की पावन वेला में हमें इन सभी संकल्पों को याद कर अमली जामा पहनाना है। तब तक सभी को शाँतिकुँज, हरिद्वार एवं गायत्री तपोभूमि, मथुरा से सुनियोजित दिशाधारा वाले पत्र भी मिल चुके होंगे, जो प्राप्त व्यक्तिगत एवं सामूहिक संकल्प−पत्रों का अध्ययन करने के बाद लिखे गए हैं

युगनिर्माण संकल्प द्वारा ही

संकल्प पर ही सृष्टि टिकी है। सिरजनहार ने यह सारा संसार ‘एकोऽहं बहुस्यामि’ के अपने संकल्प के आधार पर ही बनाया है। हमें भी उसी की एक छोटी इकाई अंशधर सत्ता होने के नाते वही दायित्व मिला है। युग का नवनिर्माण एक से अनेक हुए बिना संभव नहीं। यह कार्य परमपूज्य गुरुदेव के बताए मार्गदर्शन के अनुसार अपनी जीवनसाधना को प्रखर करते रहने से निश्चित ही पूरा हो सकता है। हमें करना मात्र इतना ही है कि हमारे इष्ट की उपासना एवं जीवनदेवता की साधना को हम अपनी समष्टि की आराधना द्वारा पकाएँ। अपनी उपासना स्वार्थप्रधान न हो। परमार्थ में ही सच्चा स्वार्थ मान सारे समाज−राष्ट्र के उत्थान की, मूल्यों के उत्थान की, गायत्री चेतना के विस्तार की बात हम सोचें। तब ही युगनिर्माण योजना अपने लक्ष्य पर पहुँच सकेगी।

महाकाल की रथयात्रा

इस वर्ष मकर संक्राँति (14.1.2003) से एक अभूतपूर्व महाकाल की रथयात्रा ज्योतिर्लिंग त्र्यंबकेश्वर की गौतमी गंगा गोदावरी की सिंहस्थ नगरी नासिक से निकलने जा रही है। मालेगाँव, धुले, शिरपूर (महाराष्ट्र) जिले से होकर यह 18.1 को सेंधवा से मध्यप्रदेश में प्रवेश करेगी। मानपुर, इंदौर, उज्जैन, देवास, शाजापुर,राजगढ़ कुँभराज, गुना, शिवपुरी, झाँसी, दतिया, डबरा, ग्वालियर, मुरैना होती हुई यह 10.2.03 को राजस्थान में धौलपुर जिले में प्रवेश करेगी। 11.2 से 14.2 यह आँवलखेड़ा गुरुग्राम में रहेगी तथा 14.2 से 17.2 तक चैतन्य तीर्थ मथुरा में विराजमान रहेगी। अभी यहाँ से मेरठ, मुजफ्फर नगर होकर इसके 26.02 को शाँतिकुँज तक पहुँचने का रूट बनना शेष है। कुछ परिजन चाहते हैं यह दिल्ली−राजधानी होकर निकले एवं कुछ इसे अलीगढ़, बुलंदशहर से होकर लाना चाहते हैं। परिपत्र एवं पत्र द्वारा सभी को स्पष्ट तिथियों की जानकारी मिलेगी। श्री के॰ सी॰ पाँडे नासिक के गारगोटी परिवार द्वारा प्रदत्त 750 किलोग्राम का विशाल शिवलिंग 1 मार्च महाशिवरात्रि के दिन विश्वविद्यालय के केंद्र में प्रतिष्ठित होगा। वहाँ महाकाल का बड़ा सुँदर मंदिर इन दिनों बनाया जा रहा है। उसी दिन प्रातः इसकी प्राण−प्रतिष्ठा होगी। रथयात्रा जहाँ रुकेगी, वहाँ सभी इसका दर्शन कर सकेंगे। एक प्रदर्शनी एवं उद्बोधन (केंद्रीयदल) द्वारा सभी इस यात्रा के उद्देश्यों को जान पाएँगे एवं जनचेतना जागेगी। दक्षिण व उत्तर का, गोदावरी व गंगा का संगम होगा। क्षेत्रीय परिजनों को ही इसकी जिम्मेदारी सौंपी जा रही है।

प्रज्ञापरिषद् की स्थापना व ब्रह्मवर्चस की रजत जयंती

2004 का वर्ष एक विलक्षण संयोग लेकर आ रहा है यह ब्रह्मवर्चस् शोध संस्थान की स्थापना (1971) का रजत जयंती वर्ष है। इस वर्ष सारे देश में प्रबुद्ध वर्गों के सम्मेलन स्थान−स्थान पर किए जाएँगे। इस बीच केंद्र में प्रज्ञापरिषद् की स्थापना की जा रही है। इसका संविधान बनाया जा रहा है। यह मूलतः इंटलेक्चुअल फोरम होगा, जो वैज्ञानिक अध्यात्मवाद की धुरी पर देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के मार्गदर्शन में कार्य करेगा। जनपद स्तर पर यह स्थापना अपने सात जोनल केंद्रों द्वारा शाँतिकुँज से संचालित होती रहेगी एवं इसमें शिक्षक, छात्र, चिकित्सक, व्यापारी, तकनीकी विशेषज्ञ सभी जुड़ते चले जाएँगे। इसका प्रारूप बनाया जा रहा है। प्रारंभिक चिंतन विगत नवंबर माह में विश्वविद्यालय में संपन्न एक सेमीनार में किया जा चुका है, जो नागपुर के वैज्ञानिकों के माध्यम से संपन्न हुई थी। एक वर्ष (2003) हमारे पास तैयारी का है।

शक्तिपीठों की रजतजयंती का वर्ष

2005 के वसंत से 2006 के वसंत एक हम शक्तिपीठों की स्थापना की रजतजयंती का वर्ष मनाएँगे। अभी इसका विस्तृत प्रारूप बनना शेष है। तब तक जोनल मंथन द्वारा सभी शक्तिपीठ व्यवस्थित ढंग से तंत्र से जुड़ चुके होंगे। आगामी तीन वर्ष अत्यधिक सक्रियता से भरे पड़े हैं। हम सभी को अभी से इनमें भागीदारी करने के लिए स्वयं को तैयार कर लेना चाहिए।


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