मूर्द्धन्य पहलवानों में गिना गया (Kahani)

January 2003

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यूनेज सेन्डो बचपन से ही बीमार और दुबला था। एक दिन पिता के साथ पहलवानी का दंगल देखने गया। सुडौल पहलवानों को देखकर बच्चे ने पिता से पूछा, कोई ऐसा भी उपाय है क्या, जिसे अपनाकर मैं भी ऐसा ही बन सकूँ ।

पिता ने विस्तारपूर्वक समझाया कि संयम और प्रयास−पुरुषार्थ से कोई भी, कुछ भी उन्नति कर सकता है। स्वास्थ्य सुधारने में भी निजी प्रयास ही काम देते हैं। बाहर की सहायता से बात बनती नहीं। तुम भी वह बल अर्जित कर सकते हो, जो तुम्हें अभीष्ट है।

सेन्डो ने दूसरे दिन से ही स्वास्थ्य सुधार के नियम कड़ाई से पालन करने शुरू कर दिए और उन प्रयासों में तत्परतापूर्वक जुट गया। सुविदित है कि बड़ा होने पर सेन्डो संसार के मूर्द्धन्य पहलवानों में गिना गया।


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