संत कबीर अपने शिष्यों से कहा करते कि रोज सवेरे शैतान आकर मुझसे प्रश्न करता है, आज तू क्या खाएगा? मैं जवाब देता हूँ, मिट्टी खाऊँगा। वह पूछता है, क्या पहनेगा? मैं जवाब देता हूँ, मुरदे का कपड़ा। वह फिर पूछता है, रहेगा कहाँ? मैं जवाब देता हूँ, श्मशान में।
मेरे ये उत्तर सुनकर शैतान मुझे अभागा बताकर चल देता है, क्योंकि मैं उन सभी चीजों से अनिच्छा प्रकट करता हूँ, जिनमें वह संसार के प्राणियों को फँसाकर मनुष्य से राक्षस बना देता है। इसी से मुझ पर उसका वश नहीं चलता।