बड़े अपराधी नहीं बनना (kahani)

May 1993

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आस्ट्रेलिया हर्बर्ट नगर की जेल में एक बार भयंकर आग लगी। उसे बुझाने के लिए कैदियों ने भरसक प्रयत्न किया। फिर भी जेल की कई दीवार जल कर ढह गयी। आग बुझाने पर कैदी अपनी-अपनी बैरकों के सामने बैठ गये कोई भागा नहीं। जब यह पूछा गया कि इस अवसर का लाभ उठा कर भाग क्यों नहीं गये? तो उन सब ने एक स्वर में एक ही बात कही। हमने व्यक्तिगत क्षेत्र में अपराध करके शासन की सजा पायी। अब शासन की मर्यादा तोड़ के ईश्वर के दरबार में और भी बड़े अपराधी नहीं बनना चाहते।


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