देश–देशांतरों में भ्रमण किया (kahani)

May 1993

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केरल की स्थिति कभी जाति-भेद और ऊंच-नीच की दृष्टि से इस क्षेत्र को बड़े पागल खाने की उपमा दी थी। ऐसी विकट परिस्थितियों और विषम परंपराओं को उस सफलता के साथ नारायण गुरु ने उलटा। उसे देखते हुए उनके व्यक्तित्व को एक चमत्कार की ही संज्ञा दी जाती है। उनका आश्रम कोल्लम के निकट बर्कला में स्थापित हुआ जो अब एक तीर्थ ही बन गया।

रवीन्द्र टैगोर उनका कार्य सुनकर दर्शनार्थ गये थे। वे वहाँ पहुँचकर भाव-विभोर हुए और कहा था मैंने देश–देशांतरों में भ्रमण किया है पर नारायण गुरु जैसा महापुरुष नहीं देखा। उन्हें केरल का गाँधी कहा जाता है।


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