स्वामी रामतीर्थ ने एम.ए. प्रथम श्रेणी में पास किया। उन दिनों उच्च शिक्षितों की सर्वत्र माँग थी। रामतीर्थ को भी एक अच्छे वेतन की नौकरी का ऑफर आया। स्वामी जी ने इनकार करते हुए कहा मैं लोगों को बंधन से मुक्त कराने आया हूँ स्वयं बंधन में बंधने के लिए नहीं।