किसी शहर के लोगों ने हसीदाी धर्मगुरु बाल शेम से आग्रह किया कि आप अपने शिष्य एल मिखाल को हमारे यहाँ रम्बी (गुरु) का पद स्वीकार करने को कहिए, जिसके लिए हम उनसे कई बार कह चुके हैं। बाल शेम ने इस पर डाँट बतायी-”अगर तुम मेरी बात न सुनोगे तो तुम इहलोक भी गँवाओगे, परलोक भी।” उत्तर मिला-”चाहे दानों लोक चले जायें पर जिस चीज के योग्य मैं नहीं हूँ, उसे, स्वीकार नहीं करूंगा।” बाल शेम बोले-”तो बेटे मेरा आशीर्वाद लो। तुमने प्रलोभन को जीत लिया है।”