नैपोलियन तब बच्चा ही था। स्वभाव का नट-खट। सड़क पर एक गरीब लड़की सिर पर फलों का टोकरा लिये बेचने जा रही थी। नेपोलियन उससे टकरा गये और फलों का टोकरा गंदी कीचड़ में बिखर गया।
लकड़ी रोने लगी। उसके परिवार का पोषण उसी टोकरी की बिक्री से होने वाला था। लड़की को रोते देखकर नैपोलियन को अपनी शरारत पर बड़ा दुख हुआ। वह पैसा की भर पाई कर देने के लिए अपने साथ घर ले गया।
माता ने विवरण सुना तो लड़की को फलों की कीमत तो नैपोलियन की माता ने चुका दी पर साथ ही दंड भी दिया कि जब तक दिया हुआ पैसा पूरा न हो जायेगा तब तक उसे जेब खर्च के लिये मिलने वाले पैसे बंद रहेंगे।